मिस इंग्लैंड का खिताब जीत चुकी ये डॉक्टर मॉडलिंग छोड़ करने लगी कोरोना के मरीजों इलाज
कोरोना वायरस से जंग में इस समय पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है। जबकि डॉक्टर्स और पुलिस ऑफिसर्स के इस मुशिकल वक्त में अपने काम को पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिससे जितना हो पा रहा वह सरकार की मदद कर रहा है। ऐसे में मिस इंग्लैंड का खिताब जीत चुकीं मॉडल भाषा मुखर्जी का भी नाम इस लिस्ट में जुड़ गया है। वह इन दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रही हैं।
फर्ज के आगे, पीछे छोड़ दिया सपना
दुनियाभर में कोरोना के मामले बढ़ते देख भाषा ने अपने मॉडलिंग करियर से ब्रेक लेकर एक डॉक्टर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने उसी अस्पताल से संपर्क किया जिसमें वह पहले काम किया करती थीं। उन्होंने अस्पताल से कहा कि वह फिर से काम पर लौटना चाहती हैं। मिस इंग्लैंड का ताज जीतने से पहले भाषा बोस्टन के एक अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के पद पर काम करती थीं।
2019 में बनी हैं मिस इंग्लैंड
कोलकाता में जन्मी भारतीय मूल की भाषा ने 2019 में मिस इंग्लैंड का खिताब अपने नाम किया था। इसके बाद उन्हें कई देशों ने चैरिटी के लिए आमंत्रण दिया। इसी सिलसिले में वह पिछले ही महीने भारत पहुंची थीं। यहां वह कई स्कूलों में बच्चों का प्रोत्साहन करने के लिए गईं। उन्होंने इस दौरान बच्चों को किताबें और पढ़ाई-लिखाई का सामान गिफ्ट के तौर पर दिया। इसके अलावा भाषा अफ्रीका, पाकिस्तान और तुर्की जैसे कई देशों में जा चुकी हैं।
नौ साल की उम्र में इंग्लैंड गई थीं भाषा
भाषा जब नौ साल की थीं तब वह परिवार के साथ भारत से इंग्लैंड गई थीं। इसके बाद उन्होंने वहीं से अपनी पढ़ाई की। मिस इंग्लैंड बनने के बाद जब वह दुनियाभर में घूम रही थीं तब कोरोना वायरस भी दुनियाभर में लगातार अपने पैर पसार रहा था। जब इस महामारी से इंग्लैंड में विकराल रूप लिया तो भाषा से यह देखा नहीं गया और उन्होंने अपने स्टारडम को एक तरफ रख डॉक्टरी करियर में वापसी करने की ठान ली।
सिर्फ इंसानियत के तौर पर काम कर रही हैं भाषा
भाषा का कहना है कि वह सिर्फ और सिर्फ इंसानियत के तौर पर इस संकट की घड़ी में लोगों की मदद के लिए आगे आई हैं। जिस समय पूरी दुनिया के लोग कोरोना वायरस से मर रहे हैं और उनके डॉक्टर साथी इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो ऐसे में वह ताज पहनकर कैसे खूब घूम सकती हैं। इसलिए उन्होंने अपने सारे सपनों और महत्वकांक्षाओं को पीछे छोड़कर डॉक्टर का फर्ज निभाने का फैसला लिया।