'मेरी क्रिसमस' रिव्यू: कैटरीना का अब तक का सबसे शानदार अभिनय, विजय ने भी किया कमाल
'मेरी क्रिसमस' की रिलीज के साथ ही सिनेमाघरों में कैटरीना कैफ और विजय सेतुपति की जोड़ी ने दस्तक दे दी। दोनों पहली बार पर्दे पर साथ नजर आए हैं, जिसके लिए प्रशंसक काफी उत्सुक थे। थ्रिलर और सस्पेंस से भरपूर इस फिल्म के निर्देशन की कमान श्रीराम राघवन से संभाली है, जो 2018 में ब्लॉकबस्टर फिल्म 'अंधाधुन' देने के बाद बड़े पर्दे पर वापस लौटे हैं। आइए जानते हैं कि राघवन उम्मीदों पर खरा उतरे या नहीं।
दिखेगी क्रिसमस की एक रात की रोमांचक कहानी
कहानी अल्बर्ट (विजय) से शुरू होती है, जो 7 साल बाद बॉम्बे में अपने घर लौटता है और क्रिसमस की रात अकेले रहने की बजाए बाहर घूमने निकलता है। यहां उसकी मुलाकात मारिया (कैटरीना) से होती है, जिसकी डेट अपनी बेटी को साथ लाने की वजह से खराब हो जाती है। हालात ऐसे बनते हैं कि दोनों फिल्म देखते और फिर मारिया के घर पहुंच जाते हैं। उनकी नजदीकियां बढ़ती ही हैं कि कहानी एक नया मोड़ ले लेती है।
एक हत्या और उससे जुड़ा राज
मारिया अपनी नाखुश शादीशुदा जिंदगी के बारे में अल्बर्ड को बताती है तो अल्बर्ट भी अपने अतीत के पन्ने उसके सामने खोलता है। इसी बीच एक हत्या दोनों के बीच रोड़ा बन जाती है, जिसके बाद अल्बर्ट वहां से निकलने की कोशिश करता है तो मारिया कुछ और ही करने में मशगूल है। ऐसे में दोनों फिर टकराते हैं और कहानी और रोमांचक हो जाती है। अब दोनों कैसे इससे निपटते हैं ये जानने के लिए आपको फिल्म देखने पड़ेगी।
विजय और कैटरीना की जोड़ी ने किया कमाल
राघवन अपने सितारों के जरिए एक शानदार कहानी कहने की कला के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने इस फिल्म के साथ भी ऐसा ही किया है। विजय ने जहां अल्बर्ट के किरदार के साथ फिर साबित कर दिया है कि वह एक शानदार अभिनेता हैं तो कैटरीना भी बेहतरीन लगती हैं। हालांकि, कई जगह वह विजय के आगे थोड़ी फीकी जरूर पड़ जाती हैं, लेकिन इसे उनके करियर का अब तक का सबसे उम्दा प्रदर्शन कहना गलत नहीं होगा।
सहायक किरदारों ने भी छोड़ी छाप
फिल्म के सभी सहायक कलाकार भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं। विजय के साथ कुछ ही मिनटों के लिए स्क्रीन पर दिखी राधिका आप्टे शानदार लगती हैं तो टीनू राज आनंद, संजय कपूर, विनय पाठक और अश्विनी कालसेकर का प्रदर्शन भी कमाल है।
कैसा रहा राघवन का निर्देशन?
राघवन के निर्देशन की बात करें तो वह पहले फ्रेम से ही अपना जादू चलाने में कामयाब रहे हैं, जिसमें गंभीरता के साथ कुछ हंसी के पल भी हैं। उन्होंने मुंबई के उस दौर की हर छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखा है, जब उसे बॉम्बे कहा जाता था। फिल्म की कहानी परत-दर-परत खुलती है, जो आपको बोर नहीं करेगी और अंत तक सीट से बांधे रखेगी, लेकिन किसी भी खुलासे के बाद आप आश्चर्यचकित नहीं होंगे।
क्लाइमेक्स ने बिगाड़ा खेल
राघवन की कहानी और कलाकार दोनों ही शानदार हैं, लेकिन क्लाइमेक्स ने खेल बिगाड़ दिया। फिल्म की शुरुआत उम्दा होती है तो बीच में ये धीमी हो जाती है, लेकिन आखिर के 30 मिनट बेहतरीन है। हालांकि, जब बारी फिल्म के क्लाइमेक्स की आती है तो ये उम्मीद के मुताबिक खरा नहीं उतरता और निराशा हाथ लगती है। ऐसे में जिस पल को सबसे शानदार होना था वो ही इस मर्डर मिस्ट्री के लिए कमजोर साबित होता है।
बैकग्राउंड म्यूजिक है शानदार
राघवन अपनी फिल्मों में बैकग्राउंड म्यूजिक से भी एक शानदार दुनिया रचते हैं और 'मेरी क्रिसमस' में भी उन्होंने ऐसा ही किया। कहानी की गति के हिसाब से बैकग्राउंड म्यूजिक धीमा और तेज होता है, जिसके लिए संगीतकार प्रतीम का काम काबिल-ए-तारीफ है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- राघवन की सिनेमाई दुनिया को पसंद करने वाले लोगों को यह फिल्म काफी पसंद आएगी। साथ ही कैटरीना और विजय की जोड़ी का कमाल भी दिखगा। कुल मिलाकर लीक से हटकर फिल्में देखने वालों को एक बार इसे जरूर देखना चाहिए। क्यों न देखें?- अगर आप बॉलीवुड की एक्शन या रोमांस वाली फिल्में देखने के ही शौकीन हैं और थ्रिलर या मर्डर मिस्ट्री में दिलचस्पी नहीं रखते हैं, तो ये आपको उबाऊ लग सकती है। न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5