
#NewsBytesExplainer: अरविंद केजरीवाल के बंगले पर सतर्कता निदेशालय की रिपोर्ट में क्या-क्या आरोप लगाए गए हैं?
क्या है खबर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले के नवीनीकरण पर 52 करोड़ रुपये खर्च किए गए। बंगले में महंगी टाइल्स, डिजाइनर सामान और जकूजी जैसी सुख-सुविधाएं लगाई गई हैं।
द प्रिंट के मुताबिक, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने उपराज्यपाल को सौंपी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने बंगले में अनियमितता की मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेने के बाद जांच का आदेश दिया था।
आइए जानते हैं रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है।
विवाद
क्या है पूरा विवाद?
भाजपा ने केजरीवाल पर बंगले की मरम्मत पर 45 करोड़ रुपये खर्च करने का आरोप लगाया था। भाजपा ने कहा कि सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच ये राशि खर्च की गई।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मामले का खुलासा होने के बाद भाजपा ने ये आरोप लगाए थे और बंगले को 'शीशमहल' बुलाकर तंज कसा था।
कांग्रेस ने भी खुद को आम आदमी कहने वाले केजरीवाल के घर की मरम्मत पर 45 करोड़ खर्च करने पर सवाल उठाए थे।
सुविधाए
किस चीज पर कितने रुपये खर्च किए गए?
सतर्कता निदेशालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में कोरोना महामारी के बावजूद केजरीवाल के बंगले के नवीनीकरण पर 52.71 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक, बंगले के डिजाइनर सामान और फिटिंग पर 48 लाख रुपये, आर्टवर्क और सजावटी काम पर 5 करोड़ रुपये, टाइल्स और मार्बल पर 2.4 करोड़ रुपये, सौना बाथ और जकूजी पर 20 लाख रुपये और फैंसी मॉड्यूलर किचन पर 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई।
अनुमति
नियम तोड़ने और अनुमति नहीं लेने का भी आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण पर 33.49 करोड़ रुपये, जबकि कैंप कार्यालय पर 19.22 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस काम को पूरा करने के दौरान कई नियम तोड़े गए और कोई मंजूरी नहीं ली गई।
लोक निर्माण विभाग (PWD) के पेड़ हटाने में भी अनियमितता पाई गई है। ये काम कोरोना महामारी के दौरान तब किया गया, जब वित्त मंत्रालय ने केवल आपातकालीन कामों में पैसा खर्च करने की अनुमति दी थी।
टेंडर
पहले लगाया गया था 15-20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार, PWD ने अनुमान लगाया था कि इस निर्माण कार्य पर 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 20 अक्टूबर, 2020 को 8.61 करोड़ रुपये का पहला टेंडर निकाला गया। इसमें नए भवन के निर्माण का जिक्र नहीं था।
बाद में परिवर्तन के नाम पर टेंडर में कई बदलाव किए गए। इससे मूल लागत 15-20 करोड़ रुपये से बढ़कर 52 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
ये रिपोर्ट 12 मई को उपराज्यपाल को सौंप दी गई थी।
जैन
रिपोर्ट में और क्या कहा गया है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन PWD मंत्री सत्येंद्र जैन ने मार्च, 2020 में मुख्यमंत्री के लिए अतिरिक्त आवास का प्रस्ताव दिया था। इसमें एक ड्राइंग रूम, दो बैठक कक्ष और 24 लोगों की क्षमता वाला एक भोजन कक्ष शामिल बनना प्रस्तावित था।
PWD ने मौजूदा ढांचे को गिराने का प्रस्ताव भी दिया था। कहा गया था कि ये भवन 1942-43 में बना था और इसकी मियाद 1997 में पूरी हो चुकी है।
रिपोर्ट
क्यों तैयार की गई रिपोर्ट?
केजरीवाल के आवास के नवीनीकरण में कथित तौर पर 45 करोड़ रुपये के खर्च को लेकर उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से 15 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी थी।
उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था, "उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण में कथित अनियमितता से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स को संज्ञान में लेकर सभी रिकॉर्ड तुरंत सुरक्षित करने और प्रोटेक्टिव कस्टडी में लेने का निर्देश दिया है।"
बयान
रिपोर्ट पर AAP का क्या कहना है?
आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवक्ता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री की छवि खराब करने में विफल रहने के बाद भाजपा अब आवास को निशाना बना रही है।
उसने कहा, "रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो किसी अपराध की तरफ इशारा करता है। यह पहली बार है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री के लिए एक आधिकारिक रिहायशी परिसर बनाया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री आवास, एक सचिवालय, एक सभागार और स्टाफ क्वार्टर शामिल है।"