चेहरे में लकवे के बाद फिर मंच पर पहुंचे जस्टिन बीबर, देखकर खुश हुए फैन्स
क्या है खबर?
करीब दो महीने पहले जस्टिन बीबर फेस पैरालिसिस का शिकार हो गए थे। इस बीमारी से जूझने के बाद अब मंच पर वह वापसी कर चुके हैं।
बीते वीकेंड पर उन्होंने इटली के 'लुका फिल्म फेस्टिवल' में परफॉर्म किया। 31 जुलाई से उन्होंने अपने वर्ल्ड टूर 'जस्टिस टूर' का अगला भाग भी शुरू कर दिया है।
जस्टिन को फिर से परफॉर्म करता देखकर उनके साथी और प्रशंसक काफी खुश हैं। वे इस वापसी के लिए उन्हें बधाइयां दे रहे हैं।
वर्ल्ड टूर
रद्द करना पड़ा था वर्ल्ड टूर
बीमारी की वजह से जस्टिन को अपना वर्ल्ड टूर रद्द करना पड़ा था। इससे पहले भी कोरोना की वजह से दो बार उनका टूर रद्द हो चुका था। इससे उनके प्रशंसक निराश थे। वहीं बार-बार शो रद्द होने की वजह से आयोजकों में भी गुस्सा था।
अब जस्टिन ने अपनी परफॉर्मेंस की कुछ तस्वीरें इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं। उनको वापस देखकर संगीत की दुनिया के लोग बेहद उत्साहित हैं।
मुश्किल
रमसे हिंट सिंड्रोम से पीड़ित थे जस्टिन
इस साल जून में जस्टिन रमसे हंट सिन्ड्रोम नाम की बीमारी से पीड़ित हो गए थे। इस बीमारी की वजह से उनके आधे चेहरे पर लकवा हो गया था।
जस्टिन ने खुद इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करके अपनी इस बीमारी के बारे में बताया था और प्रशंसकों और आयोजकों से माफी भी मांगी थी।
मुश्किल समय में जस्टिन अपना धैर्य बनाए हुए थे और जल्द ठीक होने का प्रयास कर रहे थे।
परिचय
दुनिया भर में है जस्टिन बीबर की दीवानगी?
28 वर्षीय जस्टिन बीबर मशहूर कैनेडियन गायक हैं, जिनकी दुनियाभर में दीवानगी है।
2010 के दशक में जस्टिन का करियर ग्राफ ऊंचाइयों पर पहुंचा। इस दशक के किशोर और युवाओं में जस्टिन की जबरदस्त लोकप्रियता है।
2009 में जस्टिन ने गाना 'वन टाइम' रिलीज किया। इसकी रिकॉर्डिंग की 10 लाख से ज्यादा प्रतियां बिकीं।
2010 में उनका पहला फुल लेंथ एलबम 'वर्ल्ड 2.0' आया। इसे भी खूब सफलता मिली।
जस्टिन के कॉनसर्ट्स का दुनियाभर में लोगों को इंतजार रहता है।
बीमारी
क्या होता है रामसे हंट सिन्ड्रोम?
रामसे हंट सिन्ड्रोम एक तंत्रिका विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जो मुंह, कान और चेहरे को प्रभावित करता है।
इसमें चेहरे में लकवा, कान और मुंह में दाने जैसे लक्षण होते हैं। कभी-कभी बीमारी के कारण सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।
पलकें ठीक से बंद न होने के कारण आंखों का खास ध्यान रखना होता है।
इसे ऐंटी वायरल दवाओं से ठीक किया जाता है। सही समय पर पता चलने से इसके इलाज में आसानी होती है।