जन्मदिन विशेष: भावुक कर देंगे नवाजुद्दीन सिद्दीकी की जिंदगी से जुड़े ये किस्से
क्या है खबर?
नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके संघर्ष का नतीजा है कि आज उनके नाम की मिसाल दी जाती है। नवाजुद्दीन ने बॉलीवुड के कई पुराने नियम-कायदों को तोड़ अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
उन्होंने साबित कर दिया कि बॉलीवुड में अपना सिक्का जमाने के लिए रंग-रूप या सिक्स पैक एब्स मायने नहीं रखते। पर्दे पर दिखावे से ज्यादा हुनर की जरूरत होती है।
संघर्ष की आग में नवाजुद्दीन किस तरह तपकर निखरे, आइए जानते हैं।
#1
वडोदरा में नवाजुद्दीन ने की केमिस्ट की नौकरी
जमीन से आसमान की बुलंदियों पर पहुंचने वाले नवाजुद्दीन बचपन से ही अपने गांव से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि वहां का माहौल कुछ ठीक नहीं था।
उनके घरवाले चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, इसलिए वह हरिद्वार चले गए, जहां उन्होंने केमिस्ट्री में BSc की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद गुजरात के वडोदरा शहर में एक कंपनी में केमिस्ट की नौकरी करने लगे। डेढ़ साल काम करने के बाद वह नई नौकरी तलाशने दिल्ली चले आए।
#2
बुरे वक्त में नवाजुद्दीन को बनना पड़ा चौकीदार
नवाजुद्दीन अपने करियर की शुरुआत में थियेटर से जुड़े, लेकिन इससे उन्हें पैसे नहीं मिलते थे। उनके लिए रोजमर्रा का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था।
शाम की रोटी का इंतजाम हो सके, इसके लिए उन्होंने शाहदरा में चौकीदार की नौकरी की।
उन्होंने बताया, "मैं शारीरिक रूप से कमजोर था। एक दिन खड़े रहने के बाद मैं शाम तक थक गया। जब मेरा मालिक आया तो उसने मुझे ऊंघता हुआ पाया और यह नौकरी मेरे हाथ से चली गई।"
#3
गुरबत के दिनों में पड़ गए थे खाने के लाले
नवाजुद्दीन जब मुंबई पहुंचे तो उनकी जेब में घर का किराया देने तक के पैसे नहीं थे। वह एक समय खाना खाते थे तो दूसरे समय के लाले पड़ जाते थे। उन्होंने कई बार हार मानने की सोची, लेकिन फिर याद आता कि वह गांव क्या मुंह लेकर जाएंगे।
नवाजुद्दीन ने कहा, "अगर मैं वापस जाता तो सब मजाक उड़ाते कि बड़ा हीरो बनने गया था, वापस आ गया। फिर मैंने सोच लिया कि अब जीना-मरना मुंबई में ही होगा।"
#4
शक्ल-सूरत को लेकर नवाजुद्दीन को सुनने पड़ते थे ताने
नवाजुद्दीन ने कहा था, "मैंने धारावाहिकों में काम तलाशना शुरू किया, लेकिन निर्माताओं को अच्छी शक्ल-सूरतवाले सजे-धजे कलाकार चाहिए थे और मैं वैसा था नहीं। मुझे लगातार ना सुननी पड़ी।"
उन्होंने कहा, "फिल्मों में मेरा मजाक उड़ाया जाता था कि शक्ल-सूरत है नहीं, चले आए एक्टर बनने। मुझे लगने लगा कि मैं नाकारा हूं और खुद को कुछ कर डालूं। मैंने न जाने कितनी प्रोडक्शन कंपनियों के चक्कर काटे। फोटो देख हर कोई काम देने से इनकार कर देता था।"
#5
नवाजुद्दीन को पिता से मिली थी नसीहत
नवाजुद्दीन अपने संघर्ष के दिनों में कुछ भी करने गुजरने को तैयार रहते थे। शुुरुआती दिनों में उन्होंने बड़े पर्दे पर वेटर, चोर और मुखबिर जैसी छोटी-छोटी भूमिकाएं करने में भी शर्म महसूस नहीं की।
एक इंटरव्यू में नवाजुद्दीन ने बताया था, "जब मैं फिल्मों में छोटे-मोटे रोल कर रहा था, मेरे पिता निराश थे। एक बार तो इतने निराश हुए कि उन्होंने साफ कह दिया कि तुम घर मत आना। तुम्हारे कारण हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।"
#6
मां की एक बात ने बदल दी नवाजुद्दीन की जिंदगी
नवाजुद्दीन ने बताया था कि फिल्मी दुनिया में आने से पहले वह कई बार अपनी असफलता से निराश हुए, लेकिन हताशा के दिनों में उन्हें अपनी अम्मी की एक बात याद आ जाया करती थी।
उन्होंने कहा था, "मेरी अम्मी कहा करती थीं कि बारह साल में तो कूड़े के दिन भी बदल जाते हैं बेटा, तू तो इंसान है।"
मां से मिले प्रोत्साहन और मेहनत के बलबूते नवाजुद्दीन आज दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे हैं।