पढ़ाई के लिए युवा कर रहे पोमोडोरो तकनीक का इस्तेमाल, जानिए इसके बारे में सबकुछ
छात्रजीवन में अधिकांश युवा पढ़ाई में कठिनाई महसूस करते हैं। कई बार किसी परीक्षा का पाठ्यक्रम इतना बड़ा होता है कि छात्र तैयारी शुरू करने में भी संकोच करते हैं। अगर आप भी पढ़ाई में निरंतरता और उत्पादकता बढ़ाने में संंघर्ष महसूस करते हैं तो पोमोडोरो तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये तकनीक आपको पढ़ाई के साथ दैनिक जीवन में भी क्रेंदित और कुशल बनाने में मदद करेगी। आइए जानते हैं इस तकनीक के बारे में पूरी जानकारी।
किसने की पोमोडोरो तकनीक की खोज?
पोमोडोरो तकनीक की खोज 1980 के दशक में फ्रांसेस्को सिरिलो ने की थी। सिरिलो को कार्यों को पूरा करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता था। ऐसे में उन्होंने काम पूरा करने का नया तरीका खोजा। सिरिलो ने पोमोडोरो तकनीक के बारे में किताब लिखी है। पोमोडोरो का इटैलियन में अर्थ टमाटर होता है। सिरिलो ने काम पूरा करने के लिए टमाटर आकार के टाइमर का इस्तेमाल किया और इसका नाम पोमोडोरो रखा।
कैसे काम करती हैं पोमोडोरो तकनीक?
पोमोडोरो तकनीक का मुख्य फोकस बात पर होता है कि आप ध्यान केंद्रित करने के लिए केवल एक ही कार्य चुनें। इस तकनीक में किसी भी काम के लिए 25 मिनट का समय चुनते हैं। इस दौरान पूरा ध्यान सिर्फ काम पर केंद्रित करते हैं। 25 मिनट के बाद 5 मिनट का ब्रेक लेते हैं। 25 मिनट काम और 5 मिनट ब्रेक के चरण को 3 से 4 बार दोहराएं और फिर 15 से 30 मिनट का लंबा ब्रेक लें।
ये तकनीक कब उपयोगी है?
पोमोडोरो तकनीक तब बहुत उपयोगी होती है जब आप किसी प्रोजेक्ट पर काम करते समय या पढ़ाई करते समय विचलित हो जाते हैं या ये समझना चाहते हैं कि इस काम को पूरा करने में कितना समय लगेगा। ये तकनीक लेखन, डिजाइनिंग, अध्ययन और कोड़िंग करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी साबित होती है। अगर आप छात्र हैं और निर्धारित समय में अपना पाठ्यक्रम पूरा करना चाहते हैं तो इस तकनीक का उपयोग करें।
इस तकनीक के परिणाम कैसे रहे?
इस तकनीक का इस्तेमाल कई देशों में हो रहा है। अधिकतर जगह इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। कई लोगों ने माना कि इस तकनीक ने उन्हें खतरनाक और थकाऊ कार्य शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। कई लोगों ने इस तकनीक का उपयोग कर आत्म अनुशासन और उत्पादकता बढ़ाई है। हालांकि, नौकरी करने वाले लोगों का कहना है कि कुछ कार्यों में 25 मिनट से अधिक का समय लगता है, ऐसे में ये तकनीक व्यवधान पैदा करती है।
पढ़ाई में इस तकनीक का फायदा क्या है?
ये तकनीक एक समय में एक काम पर फोकस करने पर जोर देती है, ऐसे में आपकी एकाग्रता में इजाफा होगा। कभी-कभी पढ़ाई करते हुए बर्नआउट या ऊब जाने वाली भावना पैदा होती है, लेकिन ये तकनीक बार-बार ब्रेक को प्रोत्साहित करती है। ब्रेक लेने से तनाव और बर्नआउट की भावना कम होती हैं और दिमाग सक्रिय हो जाता है। इस तकनीक से काम टालने की आदत भी दूर होती है। सोशल मीडिया और अन्य विकर्षणों से दूरी बढ़ती है।
पढ़ाई के लिए कैसे करें इस तकनीक का इस्तेमाल?
सबसे पहले उन विषयों की सूची बनाएं, जिनके बारे में आप पढ़ना चाहते हैं। अब प्रत्येक विषय के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 25 मिनट या उससे ज्यादा समय का टाइमर सेट करें। टाइमर बंद होने तक पूरी तरह केवल पढ़ाई पर ध्यान दें। सभी विकर्षणों को दूर रखें। टाइमर खत्म होने के बाद 5 मिनट का ब्रेक लें। इसके बाद 4 से 5 बार इन चरणों को दोहराएं और फिर 20-30 मिनट का लंबा ब्रेक लें।