ये यूनिवर्सिटी नागरिकता कानून पर करवा रही तीन महीने का कोर्स, ऐसे लें प्रवेश
पिछले महीने संसद से पास हुए नागरिता कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। वहीं एक तरफ कई लोगों को नागरिकता कानून के बारे में पता नहीं है। कई लोग CAA का समर्थन कर रहे हैं तो कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसी बीच प्रयागराज की एक यूनिवर्सिटी CAA पर तीन महीने का कोर्स ऑफर कर रही है। आइए जानें कैसे ले सकते हैं इसमें प्रवेश।
क्या है इसका उद्देश्य?
प्रयागराज की उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन यूनिवर्सिटी (UPRTOU), CAA पर तीन महीने का कोर्स करा रही है। इस कोर्स का नाम 'Awareness Programme in Citizenship (Amendment) Act (APCAA)' है। यूनिवर्सिटी के कुलपति कामेश्वर नाथ सिंह का कहना है कि इस जनवरी से शुरू हुए इस कोर्स में कई छात्रों ने पहले ही प्रवेश ले लिया है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस कोर्स का उद्देश्य CAA के बारे में जागरूकता फैलाना है।
इसके प्रभावों के बारे में किया जाएगा जागरुक
कामेश्वर ने ये भी कहा कि इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य लोगों को इसके बारे में जागरूक करना है। इसके तहत छात्रों को अधिनियम की आवश्यकता, राष्ट्रीय एकता और एकीकरण पर इसके प्रभाव आदि के बारे में जागरूक किया जाएगा।
CAA के साथ अनुच्छेद 370 और धारा 35A के बारे में भी बताया जाएगा
CAA के साथ-साथ इस सर्टिफिकेट कोर्स में छात्रों को अनुच्छेद 370 और धारा 35A की बारीकियों से भी अवगत कराया जाएगा। यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय निदेशक सीके सिंह का कहना है कि UPRTOU देश की पहली ऐसी शैक्षणिक संस्थान है, जिसने इस मुद्दे पर फैल रही अफवाहों को खत्म करने की पहल की है। उन्होंने कहा कि CAA को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन है। इस कोर्स से लोगों को नए कानून को स्पष्ट समझने में मदद मिलेगी।
जनवरी सेशन के लिए चल रहे हैं रजिस्ट्रेशन
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अभी चल रही है। अगला सत्र जुलाई में शुरू हो रहा है और देश में कोई भी 12वीं पास इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए पात्र है। इस कोर्स के लिए एडमिशन फीस 500 रुपये है। स्टडी मैटेरियल आपको यूनिवर्सिटी द्वारा ही दिया जाएगा। छात्रों को स्टडी मैटेरियल के आधार पर असाइनमेंट दिया जाएगा और उसी आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा।
क्या है नागरिकता कानून?
नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को भारत में छह साल रहने के बाद ही नागरिकता दी मिलेगी। मुस्लिमों को बाहर रखने के कारण इसका देशभर में विरोध हो रहा है।