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    क्या है PFI संगठन और क्यों उठ रही है इस पर बैन लगाने की आवाज?

    क्या है PFI संगठन और क्यों उठ रही है इस पर बैन लगाने की आवाज?

    लेखन भारत शर्मा
    Jan 02, 2020
    06:11 pm

    क्या है खबर?

    देश में नागरिकता कानून (CAA) के पास होने के बाद उत्तर प्रदेश में भड़की हिंसा की आग में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होने की बात पर बवाल मच गया है।

    केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ पुलिस और गृह मंत्रालय के मुताबिक उत्तर प्रदेश में CAA के विरोध के दौरान PFI कई जिलों में सक्रिय रहा। खुद सरकार इस हिंसा में PFI का हाथ बता रही है।

    आइए जानते हैं कि आखिर PFI क्या है और क्या करता है।

    बयान

    SIMI से है PFI का कनेक्शन

    कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हिंसा में PFI की भूमिका सामने आ रही है। गृह मंत्रालय सबूतों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय करेगा।

    प्रसाद ने कहा कि 2011 में खुफिया विभाग की रिपोर्ट में खुलासा हो चुका है PFI का कनेक्शन SIMI से भी है। ऐसे में हिंसा में इसके शामिल होने की आशंका को देखते हुए इसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।

    इस संगठन के 25 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

    जानकारी

    क्या है SIMI?

    स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (SIMI) प्रतिबंधित मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन है। 1977 में इसका गठन हुआ था। इसका उद्देश्य पश्चिमी सांस्कृतिक प्रभाव को इस्लामिक समाज में बदलना था। सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 2002 में इसे बैन कर दिया था।

    स्थापना

    2006 में अस्तित्व में आया था PFI

    PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है और यह खुद को पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है।

    यह संगठन पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के रूप में अस्तित्व में आया था। उस दौरान संगठन ने दिल्ली के राम लीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थी।

    केरल के कालीकट से निकले इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है।

    विवादों से नाता

    काफी समय से उठ रही है संगठन पर बैन की मांग

    इस संगठन की गतिविधियां पहले दक्षिण भारत तक ही सीमित थीं, लेकिन अब इन्होने अपने पैर देशभर में फैला लिए हैं। हाल ही में इन्होने अपना मुख्यालय दिल्ली शिफ्ट किया है।

    यह संगठन सरकार या किसी समुदाय विशेष की ओर से किए जाने वाले धार्मिक कार्यों का पुरजोर विरोध करता है।

    इसका नाम लव जेहाद व दंगा भड़काने में भी सामने आ चुका है। इसके कारण ही 2012 से इस संगठन पर बैन लगाने की मांग की जा रही है।

    गहरी जड़ें

    23 राज्यों में पकड़ बना चुका है संगठन

    PFI के मुस्लिम संगठन होने के कारण इसकी गतिविधियां मुस्लिमों से संबंधित होती है। यह संगठन मुस्लिम आरक्षण के लिए सड़कों पर उतर चुका है।

    यह संगठन मुस्लिमों के अलावा देशभर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए समय-समय पर मोर्चा खड़ा करता है।

    वर्तमान में यह 23 राज्यों तक अपनी पकड़ बना चुका है। यह संगठन खुद को न्‍याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है।

    सहयोग

    स्थानीय संगठनों का भी लेता है सहयोग

    PFI की देश के राज्यों में पैठ बनाने की रणनीति बड़ी अगल है। यह स्वयं अकेले किसी राज्य में उतरने की जगह संबंधित राज्य के बड़े संगठन के साथ अपनी जड़ें जमाता है।

    PFI अब तक NDF के अलावा कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई, गोवा के सिटिजन्स फोरम, राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी, आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस समेत अन्य संगठनों के साथ मिलकर इन राज्यों में अपनी जड़ें जमा चुका है।

    संभावना

    PFI बैन हुआ तो राजनीतिक दल इसे बना सकते हैं मुद्दा!

    खूफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर यह सामने आया है कि PFI कट्टरपंथ को प्रमोट करता है, लेकिन यदि उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में बात करें तो PFI पर बैन भाजपा और कांग्रेस सहित लगभग सभी दलों के लिए राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

    तमाम दल भड़की आग में घी डालते हुए भाजपा की इस संगठन को बैन करने की पहल का विरोध कर सकते हैं और अपनी रोटियां सेकने का मौका नहीं जाने देंगे।

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