उत्तर प्रदेश: सिपाही बना नायब तहसीलदार, रात में ड्यूटी और दिन में करता था पढ़ाई
क्या है खबर?
किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अगर आप कोई काम मेहनत और लगन से करेंगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगी। इस बात को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के झांसी में एक थाने में सिपाही के पद पर तैनात अनिल चौधरी ने।
अनिल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की प्रवर अधीनस्थ सेवा (PCS) परीक्षा में 21वीं रैंक हासिल की है। अब वह नायब तहसीलदार बन जाएंगे।
आइए जानते हैं उनकी इस सफलता की कहानी के बारे में।
अनिल
पेशे से किसान हैं अनिल के पिता
बता दें कि अनिल मूल रूप से फिरोजाबाद के शिकोहाबाद के रहने वाले हैं। उनके पिता यशपाल किसान हैं और मां वीरमती गृहणी हैं।
इसके अलावा परिवार में उनका एक बड़ा भाई और बड़ी बहन हैं। उनके भाई-बहन बताते हैं कि अनिल ने कक्षा 12 तक की पढ़ाई गांव के ही प्राइवेट स्कूल से की।
इसके बाद 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस में वे बतौर सिपाही भर्ती हुए थे और उनको पहली पोस्टिंग झांसी में मिली।
प्रेरणा
अधिकारियों के साथ ड्यूटी करने के दौरान अनिल को मिली प्रेरणा
अनिल बताते हैं कि ज्यादातर समय उनकी ड्यूटी अधिकारियों के साथ ही लगती थी।
यहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने सोचा कि अधिकारी बनने की कोशिश की जाए।
इसके बाद उन्होंने 2018 से UPPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने एक साल का अवैतनिक अवकाश लिया और दिल्ली जाकर कोचिंग ली।
हालांकि, तैयारी के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
इंटरव्यू
अनिल से आयोग ने इंटरव्यू में पूछा यह सवाल
अनिल जब इंटरव्यू देने गए तो उनसे पूछा गया कि सिपाही जैसे पद पर अधिक छुट्टी नहीं मिलती तो आपने कैसे तैयारी की?
इसके जवाब में उन्होंने बताया कि पहले साल जब उन्होंने छुट्टी लेकर तैयारी की तो उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने कोचिंग में बनाए नोट्स से तैयारी करने का फैसला किया।
जब उन्होंने दोबारा नौकरी ज्वॉइन की तो उन्होंने पुलिस लाइन में ट्रांसफर कराया, जहां उन्हें रात में ड्यूटी के साथ पढ़ने को मिल जाता था।
सफलता
अनिल को चौथे प्रयास के बाद मिली सफलता
पहले प्रयास में असफलता मिलने के बाद उन्होंने ठान लिया कि वह हर हाल में मुकाम हासिल करेंगे और लगाचार चौथे प्रयास के बाद मंजिल तक पहुंच गए।
अनिल ने कहा कि पुलिस की नौकरी में तैयारी बेहद मुश्किल है, लेकिन असम्भव नहीं है।
पढ़ाई में लम्बे अंतराल के बाद दिन-रात की नौकरी में पढ़ाई मुश्किल लगी, लेकिन हमेशा माता-पिता का चेहरा सामने आने के बाद इरादा और भी पक्का होता गया।
तैयारी
परीक्षा की तैयारी के दौरान टीवी-मोबाइल से दूरी
अनिल बताते हैं कि तैयारी के दौरान उन्होंने टीवी-मोबाइल से दूरी बनाई रखी और सिर्फ परीक्षा की तैयारी पर अपना ध्यान केंद्रित रखा।
वह सिर्फ चार से पांच घंटे सोते थे क्योंकि नौकरी भी करनी थी और पढ़ना भी था।
दिन में नींद पूरी करने के बाद वह लाइब्रेरी चले जाते थे और यहीं बैठकर पढ़ाई करते थे। वह बताते हैं कि घर से लाइब्रेरी दूर थी तो उन्होंने घर बदल लिया और लाइब्रेरी के पास रहने लगे।