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    कभी मुंबई की सड़कों पर फूल बेचने वाली सरिता को अमेरिकी यूनिवर्सिटी में मिला एडमिशन

    कभी मुंबई की सड़कों पर फूल बेचने वाली सरिता को अमेरिकी यूनिवर्सिटी में मिला एडमिशन
    लेखन तौसीफ
    May 17, 2022, 06:30 pm 1 मिनट में पढ़ें
    कभी मुंबई की सड़कों पर फूल बेचने वाली सरिता को अमेरिकी यूनिवर्सिटी में मिला एडमिशन
    कभी मुंबई की सड़कों पर फूल बेचने वाली सरिता को अमेरिकी विश्वविद्यालय में मिला एडमिशन (फोटो साभार: फेसबुक सरिता माली)

    मुंबई की सड़कों पर कभी फूल बेचने वाली सरिता माली अब संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के लॉस एंजिल्स में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) करने जा रही हैं। 28 वर्ष की सरिता मौजूदा समय में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के भारतीय भाषा केंद्र से हिंदी साहित्य में PhD कर रही हैं। उन्होंने JNU से मास्टर ऑफ आर्ट्स (MA) और मास्टर ऑफ फिलॉसफी (MPhil) की डिग्री ली है और जुलाई में वो अपनी PhD जमा करेंगी।

    यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में किस विषय पर शोध करेंगी सरिता?

    एक फेसबुक पोस्ट में खुशखबरी देते हुए सरिता ने लिखा 'अमेरिका के दो विश्वविद्यालयों में मेरा चयन हुआ है- यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन, मैंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया को वरीयता दी है।' उन्होंने आगे कहा, 'मुझे इस यूनिवर्सिटी ने मेरिट और अकादमिक रिकॉर्ड के आधार पर अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित फेलोशिप में से एक 'चांसलर फेलोशिप' दी है।' यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में वह 'भक्ति काल के दौरान निम्नवर्गीय महिलाओं का लेखन' विषय पर शोध करेंगी।

    मुंबई के ट्रैफिक सिग्नलों पर फूल बेचकर गुजारा करता था सरिता का परिवार

    जब सरिता कक्षा छह में पढ़ती थीं, तभी से उन्होंने अपने पिता के साथ मुंबई के ट्रैफिक सिग्नलों पर फूल बेचने के लिए गाड़ियों के पीछे दौड़ना शुरू कर दिया था। कक्षा 10 पास करने के बाद उन्होंने इलाके के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। वह पढ़ने की अपने पिता की इच्छा पूरी करना चाहती थीं। उन्होंने पैसे बचाकर स्नातक की पढ़ाई की और फिर 2014 में वह JNU में हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर करने पहुंच गईं।

    हर किसी के जीवन में आते हैं उतार-चढ़ाव- सरिता

    सरिता के मुताबिक, सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। उन्होंने कहा, "हर किसी की अपनी कहानियां और पीड़ा होती हैं। यह तय होता है कि आप किस समाज में पैदा हुए और आपको जीवन में क्या मिलना है।" उन्होंने कभी अपने हालात और अपनी किस्मत को दोष नहीं दिया। सरिता ने कहा कि उन्हें उनके पिता की सीख हमेशा याद रही कि शिक्षा एकमात्र ऐसा हथियार है, जो उसे जलालत की इस जिंदगी से छुटकारा दिला सकता है।

    परिवार के पालन के लिए पिता जौनपुर से पहुंचे थे मुंबई

    सरिता के परिवार में पिता रामसूरत माली और मां सरोज माली के अलावा दो भाई और एक बहन हैं। रामसूरत उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के अपने पैतृक गांव खजूरन में घरों में घूम-घूम कर फूल माला बेचते थे। लेकिन परिवार बड़ा होने के कारण भरण-पोषण बहुत मुश्किल से हो रहा था, इसलिए 18 वर्ष की उम्र में वह रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंच गए और यहां फूल बेचने का काम शुरू कर दिया।

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