एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग देगी आपके करियर को ऊंची उड़ान, जानिए इसके बारे में सब कुछ
भारत में हर साल लाखों की संख्या में छात्र इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं, इस क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं और अच्छी नौकरी भी करते हैं। इंजीनियरिंग की अलग-अलग शाखाओं में से एक एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग भी है। इसके जरिए छात्र उड़ने वाली मशीनरी के बारे में पढ़ते हैं। अगर आपको आसमान में उड़ते प्लेन के बारे में रिसर्च करना, उसके फंक्शन के बारे में पढ़ना पसंद है तो आप इस फील्ड में अपना करियर बना सकते हैं।
क्या है एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग?
इंजीनियरिंग सेक्टर में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जाता है, लेकिन इसमें करियर निर्माण की शानदार संभावनाएं होती हैं। इस कोर्स के जरिए इंजीनियर कमर्शियल और सैन्य हवाई जहाजों, मिसाइलों की डिजाइन और निर्माण का टेस्ट और विश्लेषण करते हैं और ट्रेनिंग लेते हैं। इसके अलावा वे स्पेस रिसर्च, डिफेंस टेक्नोलॉजी और उड्डयन आदि का भी अध्ययन करते हैं। इसमें विभिन्न यंत्रों की जांच के साथ ही उपकरणों में नई तकनीक के विकास पर जोर दिया जाता है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के लिए क्या योग्यता चाहिए?
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के कोर्स कई स्तर पर मौजूद हैं, जिनमें अंडर-ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रेजुएशन और डॉक्टरेट लेवल शामिल हैं। ग्रेजुएशन लेवल पर कोर्स करने के लिए छात्रों को कक्षा 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित विषय में 50 से 60 फीसदी अंक लाने होंगे। पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर इंजीनियरिंग करने के लिए छात्रों का ग्रेजुएट होना जरुरी है। इसके बाद देश के टॉप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश परीक्षा और मेरिट के हिसाब से दाखिला मिल जाता है।
नौकरी के अवसर
इस फील्ड में नौकरी के बहुत सारे अवसर हैं। कोर्स पूरा करने के बाद छात्र प्राइवेट एयरलाइन कंपनियों के अलावा राष्ट्रीय एयरोनॉटिकल लैब, रक्षा मंत्रालय, नागरिक उड्डयन विभाग, ISRO और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम कर सकते हैं। इस फील्ड के इंजीनियरों की नासा और एयरबस जैसी निजी कंपनियों में बहुत ज्यादा मांग है। विदेशों में भी एयरोनॉटिकल इंजीनियरों के लिए नौकरी के सुनहरे अवसर उपलब्ध हैं।
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए जरूरी स्किल्स
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए छात्रों की गणित और फिजिक्स पर अच्छी पकड़ होना जरुरी है। इसके अलावा कंप्यूटर दक्षता और अच्छी कम्युनिकेशन स्किल जरूरी हैं। छात्रों के पास अच्छी योजना बनाने, दबाव में काम करने, समस्या का हल करने और लीडरशिप की क्षमता भी होनी चाहिए। मैनुअल, टेक्निकल और मैकेनिकल एप्टीट्यूड और डिजाइन कौशल होना भी जरूरी है। इसके अलावा विमान उपकरणों के प्रति जुनून होना चाहिए। छात्रों की फिजिकल फिटनेस और कलर विजन सामान्य होना चाहिए।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरों को मिलता है इतना वेतन
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के बाद वेतन का निर्धारण उम्मीदवार के अनुभव, स्किल और संस्थान के आधार पर होता है। निजी क्षेत्र में शामिल इंजीनियरों को संगठन के प्रबंधन के हिसाब से वेतन मिलता है, जबकि सरकारी क्षेत्र में इंजीनियरों को ग्रेड-A, ग्रेड-B, कनिष्ठ अभियंता और सहायक अभियंता का निश्चित वेतनमान मिलता है। शुरुआती तौर पर देखा जाए तो एयरोनॉटिकल इंजीनियरों का वार्षिक वेतन छह से 12 लाख रुपये के बीच होता है। अनुभव बढ़ने के साथ-साथ वेतन भी बढ़ता है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश परीक्षा और शिक्षा संस्थान
भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट लेवल पर कई प्रवेश परीक्षाएं होती हैं, जिनमें JEE मेन, JEE एडवांस्ड, बिटसैट, GATE, AEEE जैसी परीक्षाएं होती हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास, IIT बॉम्बे, IIT खड़गपुर, IIT कानपुर, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अन्ना यूनिवर्सिटी, एलपी यूनिवर्सिटी फगवाड़ा, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा और छत्रपत्रि शिवाजी महाराज कॉलेज ऑफ एविएशन अच्छे शिक्षा संस्थान हैं। अलग-अलग शिक्षा संस्थानों में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के लिए अलग-अलग फीस निर्धारित है।