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अमेरिका और चीन के बीच हुआ व्यापार समझौता, टैरिफ कम किया गया
अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय बाद व्यापार समझौता

अमेरिका और चीन के बीच हुआ व्यापार समझौता, टैरिफ कम किया गया

May 12, 2025
01:12 pm

क्या है खबर?

अमेरिका और चीन के बीच बीते दिन (11 मई) लंबे समय बाद व्यापार समझौता हुआ है। यह बातचीत स्विट्जरलैंड के जिनेवा में 2 दिनों तक चली, जिसकी मेजबानी स्विस सरकार ने की। इस समझौते को दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते सुधारने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, समझौते का पूरा विवरण अभी जारी नहीं किया गया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि बातचीत काफी सकारात्मक रही और इससे बेहतर नतीजों की उम्मीद है।

 टैरिफ 

अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ कम करने पर सहमति

जिनेवा में हुई बातचीत के बाद अमेरिका और चीन ने व्यापार युद्ध को कम करने के लिए अगले 90 दिनों तक आयात पर लगने वाले टैरिफ घटाने पर सहमति दी है। अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर शुल्क 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत और चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस समझौते के बाद वैश्विक शेयर बाजार में तेजी देखी गई और अमेरिकी डॉलर भी मजबूत हुआ।

संकेत 

राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ में कटौती का दिया था संकेत 

समझौते से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया था कि अमेरिका, चीन पर लगाए गए 145 प्रतिशत टैरिफ को घटाकर 80 प्रतिशत कर सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा था कि यह फैसला ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट पर निर्भर करता है। वहीं, बेसेंट ने बातचीत के बाद कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता में अच्छी प्रगति हुई है और इसका विस्तृत विवरण जल्द ही जनता के सामने लाया जाएगा।

 चर्चा 

व्यापार घाटे और आपातकाल की भी चर्चा हुई 

इस बातचीत में चीन के उपप्रधानमंत्री, 2 उपमंत्री, अमेरिका के राजदूत जैमीसन ग्रीर और ट्रेजरी सचिव बेसेंट शामिल थे। राजदूत ग्रीर ने बताया कि अमेरिका का व्यापार घाटा करीब 1.2 लाख करोड़ डॉलर (लगभग 1 लाख अरब रुपये) है और इसी वजह से राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर टैरिफ लगाए थे। ग्रीर ने कहा कि यह समझौता अमेरिका को इस व्यापार संकट से उबारने में मदद कर सकता है।

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अनुमान

समझौते के बाद आगे क्या हो सकता है?

अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापार समझौते के बाद उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच टैरिफ हमेशा के लिए कम हो सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में स्थिरता लौटेगी। संयुक्त बयान से आने वाले समय में व्यापार नियमों को लेकर स्पष्टता मिलेगी। इससे बंदरगाहों पर रुका माल तेजी से रिलीज हो सकता है और वैश्विक बाजारों में निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। इससे आगे भी बातचीत चलती रहेगी और भविष्य में विवाद कम हो सकते हैं।