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#NewsBytesExplainer: भारत में टेस्ला को हो सकता है फायदा, चीनी कंपनी BYD की राह कठिन 
भारत में टेस्ला की राह आसान दिख रही है, लेकिन BYD को हो सकती है मुश्किल

#NewsBytesExplainer: भारत में टेस्ला को हो सकता है फायदा, चीनी कंपनी BYD की राह कठिन 

लेखन रजनीश
Aug 03, 2023
10:48 pm

क्या है खबर?

अमेरिका की टेस्ला और चीन की BYD विश्व की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां हैं। ये कंपनियां दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऑटो बाजार यानी भारत में अपना पैर जमाना चाहती हैं और यहां निवेश की योजना पर काम कर रही हैं। हालांकि, टेस्ला के निवेश प्रस्ताव का भारत ने स्वागत किया है और दूसरी तरफ BYD को टैक्स चोरी के आरोप में भारत में जांच का सामना करना पड़ रहा है।

टेस्ला

BYD के हटने से टेस्ला को नहीं रहेगा कोई खतरा

अगर BYD की मुश्किल बढ़ती है तो इससे टेस्ला का रास्ता और आसान हो जाएगा और इसे किसी प्रतिस्पर्धी का खतरा भी नहीं रह जाएगा। थाईलैंड जैसे अन्य उभरते बाजारों में टेस्ला को BYD से प्रतिस्पर्धा करना पड़ रहा है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के जसमीत खुराना ने कहा कि भारत में कौन जीतता है इसका भविष्य कुछ हद तक इस पर निर्भर करेगा कि इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की दौड़ में विश्व स्तर पर कौन जीतता है।

रिपोर्ट

भारत में बहुत कम कीमत वाली कार ला सकती है टेस्ला

रिपोर्ट के मुताबिक, जून में अमेरिका में टेस्ला के मालिक एलन मस्क और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक बैठक हुई थी। इसके बाद से टेस्ला ने प्लांट में संभावित निवेश पर अधिकारियों के साथ चर्चा की और कम लागत वाली लगभग 20 लाख रुपये की EV बनाने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, यह बातचीत पिछले सप्ताह भी जारी रही और मोदी व्यक्तिगत रूप से इस डेवलपमेंट को ट्रैक कर रहे हैं।

निवेश

भारत में निवेश पर अब उत्सुक नहीं है BYD

इस बीच BYD भारत में निवेश से पीछे हटती दिख रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, BYD ने महीनों पहले भारत में अपने लगभग 8,000 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी मांगी थी, लेकिन अब कंपनी मंजूरी के लिए उत्सुक नहीं है। दूसरी तरफ BYD पर टैक्स चोरी के आरोपों की जांच भी चल रही है। BYD पर लगभग 75 करोड़ रुपये टैक्स चोरी का आरोप है और इसको लेकर कंपनी पर अतिरिक्त टैक्स और जुर्माना लग सकता है।

बैटरी

चीनी निवेश पर कड़ाई से प्रभावित हो सकता है भारत का EV बाजार

वर्ष 2020 में भारत और चीन के बीच सीमा संघर्ष के बाद से चीनी निवेशकों को भारत में कड़ी जांच का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक इनकी बैटरी है और बैटरी मैटेरियल और बैटरी प्रोडक्शन सहित अन्य टेक्नोलॉजी में चीन काफी आगे है। ऐसे में चीनी निवेश पर कड़ाई करने से भारत में EV के बढ़ते बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है।

जानकारी

चीनी कंपनियों को लेकर है ये चिंता

इन चिंताओं के अलावा भारतीय अधिकारी चीनी कंपनी द्वारा निर्मित वाहनों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और उनके द्वारा इकट्ठा किए जा सकने वाले डाटा को लेकर भी चिंतित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा कि भारत चीनी वाहन निर्माताओं के साथ असहज है।

सप्लायर

टेस्ला के लिए भारत ने रखी यह शर्त

टेस्ला के पास भी चीनी सप्लायर हैं, जिन्हें वह भारत लाना चाहती है और भारत के टेस्ला के संबंध भी ठीक दिख रहे हैं। भारत ने टेस्ला से कहा है कि वह उसके चीनी सप्लायर्स को देश में आने की अनुमति तभी देगा जब वह ऐपल की तरह स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी करेगी। दूसरी तरफ भारत BYD के 8,000 करोड़ के निवेश पर झिझक रहा है, जबिक उसने भी एक घरेलू कंपनी के साथ साझेदारी का प्रस्ताव दिया था।

अखबार

BYD के निवेश में रुकावट से चीनी कंपनियों के निवेश को लगेगा झटका

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि BYD की निवेश योजना में रुकावट से भारत में निवेश करने में चीनी कंपनियों के विश्वास को झटका लगेगा। हालांकि, BYD की तरफ से उसकी 8,000 करोड़ रुपये की निवेश योजना पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है, जबकि मस्क ने मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि टेस्ला देश में निवेश की योजना बना रही है। हालांकि, शुरुआत में टेस्ला और भारत के बीच भी काफी खींचतान चली थी।

लक्ष्य

वर्ष 2022 में BYD थी दुनिा की सबसे बड़ी EV विक्रेता

टेस्ला 2030 तक वैश्विक स्तर पर 2 करोड़ कारें बेचना चाहती है। यह आंकड़ा वर्ष 2022 के लगभग 13 लाख कारों की बिक्री से काफी ज्यादा है। हालांकि, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए टेस्ला को चीन के शंघाई प्लांट के विस्तार में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2022 में BYD कुल 18 लाख यूनिट की बिक्री के साथ दुनिया की सबसे बड़ी प्लग इन हाइब्रिड और EV विक्रेता थी।

प्रतिस्पर्धा

अधिक बिक्री के लिए कंपनियों को भारत आना ही होगा- गोरव वांगल

S&P ग्लोबल मोबिलिटी के गौरव वांगल ने कहा कि टेस्ला की मुख्य रूप से BYD के साथ प्रतिस्पर्धा है और दोनों वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर ये कंपनियां अधिक बिक्री चाहती हैं तो उन्हें भारत आना होगा। S&P ग्लोबल मोबिलिटी के अनुमान के मुताबिक, भारत में हल्के इलेक्ट्रिक वाहनों का वार्षिक उत्पादन 2030 तक 14 लाख तक बढ़ने की उम्मीद है जो कुल अनुमानित उत्पादन (70 लाख) का करीब 19 प्रतिशत है।

टाटा

भारत के EV बाजार में टाटा का है दबदबा

भारत के EV बाजार में फिलहाल टाटा मोटर्स का दबदबा है। इसकी सबसे ज्यादा बिकने वाली नेक्सन EV लगभग 15 लाख रुपये से शुरू होती है, जबकि चीनी कार निर्माता MG मोटर्स की ZS EV की कीमत लगभग 23 लाख रुपये है। BYD की अट्टो 3 भारत में लगभग 34 लाख रुपये की शुरुआती कीमत में बिकती है। टेस्ला 20 लाख रुपये तक में कार लाती है तो कीमत और टेस्ला के नाम के साथ वह हिट हो सकती है।