NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / देश की खबरें / ऐसे गोतख़ोर जो 52 साल में निकाल चुके हैं 1,200 से ज़्यादा शव, जानिए उनकी कहानी
    अगली खबर
    ऐसे गोतख़ोर जो 52 साल में निकाल चुके हैं 1,200 से ज़्यादा शव, जानिए उनकी कहानी

    ऐसे गोतख़ोर जो 52 साल में निकाल चुके हैं 1,200 से ज़्यादा शव, जानिए उनकी कहानी

    लेखन प्रदीप मौर्य
    Aug 20, 2019
    10:06 pm

    क्या है खबर?

    आपने पुरानी कहावत 'डूबते को तिनके का सहारा' तो सुनी ही होगी। यह कहावत भले ही पूरे भारत के लिए सही हो, लेकिन जोधपुर में यह कहावत बदलकर 'डूबते को दाऊजी का सहारा' बन जाती है।

    इसकी सबसे बड़ी वजह हैं दाऊजी यानी दाऊलाल मालवीय।

    वो पिछले 52 साल से डूबने वालों को बचा रहे हैं और अब तक 1,200 से ज़्यादा शव भी निकाल चुके हैं।

    आइए आज हम आपको उस महान गोतख़ोर के बारे में बताते हैं।

    काम

    दाऊजी बचपन से कर रहे हैं यह काम

    जानकारी के लिए बता दें कि पानी में पड़े शव को निकालने के लिए प्रशासन भी दाऊजी को याद करता है।

    सुबह, दोपहर, शाम या रात हो, वो सूचना मिलते ही अपने साथियों के साथ मदद के लिए निकल पड़ते हैं।

    नदी में बहाव हो या अँधेरा कुआँ-बावड़ी हो, वो बिना परवाह किए पानी में कूद जाते हैं और शव को खोजकर बाहर निकाल लाते हैं।

    आपको जानकार हैरानी होगी कि वो यह काम बचपन से कर रहे हैं।

    प्रेरणा

    पिता से मिली थी प्रेरणा

    दाऊजी ने बताया कि उन्हें मानव सेवा की प्रेरणा अपने पिता से मिली थी। पिता से उन्होंने सीखा कि किसी डूबते हुए को बचाना और डूबे हुए शवों को बाहर निकालना मानव धर्म है।

    दाऊजी ने 15 वर्ष की उम्र में पहली बार एक शव निकाला था। तब से लेकर अब तक वो 1,200 से भी ज़्यादा शवों को पानी से बाहर निकाल चुके हैं।

    इसके अलावा पानी से जीवित लोगों को बाहर निकालने का भी आँकड़ा काफ़ी ज़्यादा है।

    घटना 1

    पहली बार इस तरह निकाला था शव

    लगभग 52 साल पहले दाऊजी गुलाब सागर से पानी निकाल रहे थे और उनकी बाल्टी अटक गई। जब काफ़ी कोशिशों के बाद भी बाल्टी ऊपर नहीं आई, तो वो पानी में कूद गए।

    उन्होंने देखा कि बाल्टी में एक शव फँसा है। पहले तो वो घबरा गए और बाहर निकल आए।

    घर आकर जब इसके बारे में बताया, तो उनके पिता ने हिम्मत बँधाया और वापस भेज दिया। इसके बाद वो दोबारा पानी में गए और शव को बाहर निकाला।

    घटना 2

    मरने के सवा घंटे बाद हो गया ज़िंदा

    दाऊजी बताते हैं कई साल पहले एक व्यक्ति आत्महत्या करने के लिए पानी में कूद गया। बाद में उन्होंने उसे बाहर निकाला और अस्पताल पहुँचाया।

    डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आधे घंटे की प्रक्रिया के बाद उन्हें बॉडी मिली।

    उसके बाद बॉडी को पेड़ से लटकाया गया और उसके मुँह में हाथ डाला, जिससे शरीर का सारा पानी बाहर आ गया। इस तरह मृत्यु के सवा घंटे बाद भी वह ज़िंदा हो गया।

    घटना 3

    जाली पर अटका हुआ था व्यक्ति

    दाऊजी ने आगे बताया, 2010 की 31 दिसंबर की रात को प्रतापनगर थाने से फोन आया कि हाथी नहर में एक व्यक्ति कूद गया है।

    वहाँ काफ़ी अँधेरा होने से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सड़क और नहर के बीच 60-70 फिट गहरी खाईं थी।

    व्यक्ति बचाने के लिए आवाज़ दे रहा था, लेकिन आवाज़ कहाँ से आ रही है, इसका पता नहीं चल पा रहा था। नीचे जाकर देखा तो, व्यक्ति एक जाली के ऊपर अटक हुआ था।

    जानकारी

    मुश्किलों का सामना करते हुए बचाई व्यक्ति की जान

    इसके बाद रस्सियों और लोहे की तगारी की मदद से उस व्यक्ति को ऊपर निकाला गया। इस तरह काफ़ी मुश्किलों का सामना करते हुए उस व्यक्ति की जान बचाई गई थी।

    पीढ़ियाँ

    इसी काम में लगी हैं दाऊजी की पाँच पीढ़ियाँ

    आज जहाँ लोग हर काम पैसे से करते हैं, वहीं दाऊजी मानव सेवा का काम निःस्वार्थ भाव से बिना पैसों के करते हैं।

    अब तक वो कई जिलों के हज़ारों लोगों को तैरने का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। उनके इसी मानव सेवा की वजह से उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

    दाऊजी के परिवार की पाँच पीढ़ियाँ इसी काम में लगी हुई हैं। दाऊजी के पिता विष्णुदास ने भी कई लोगों की जान बचाई है।

    प्रशिक्षण

    पुलिस को भी देते हैं प्रशिक्षण

    विष्णुदास ने अपनी वासियत में लिखा है कि उनके बेटे और पोते यह मानव सेवा निःशुल्क करते रहें, इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।

    अपने पिता की इस आख़िरी इच्छा को ही मानकर दाऊजी ने अपने बेटों और पोतों को भी इसी काम में लगा दिया है।

    दाऊजी का साथ उनका बेटा सुनील और जितेंद्र, भरत, रवि, मंगलदास, कमल हरिसिंह और महेंद्र देते हैं।

    दाऊजी समय-समय पर पुलिस को भी प्रशिक्षण देते हैं।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    भारत की खबरें
    तैराकी

    ताज़ा खबरें

    इंटर मिलान को हराकर पहली बार चैंपियन्स लीग विजेता बनी पेरिस सेंट-जर्मेन, बनाए ये रिकॉर्ड्स  चैंपियन्स लीग
    इजरायल के साथ युद्धविराम पर सहमत हुआ हमास, बंधकों की रिहाई के बदले रखीं ये शर्तें इजरायल
    मिस वर्ल्ड 2025: टूट गया भारत की जीत का सपना, थाईलैंड की सुचाता चुआंग्सरी बनीं विजेता मिस वर्ल्ड
    राजपाल यादव बाेले- बॉलीवुड में अगर नपोटिज्म होता तो मेरे 200 रिश्तेदार यहीं होते राजपाल यादव

    भारत की खबरें

    एक करोड़ रुपये जीतने का मौका, बस SEBI को देनी होगी यह सूचना SEBI
    जम्मू-कश्मीर मामले में दखल की आस में बैठे पाकिस्तान को निराशा, UN ने बताया द्विपक्षीय मामला पाकिस्तान समाचार
    पूरी तरह फिट हुए विंग कमांडर अभिनंदन, जल्द उड़ा सकेंगे लड़ाकू विमान पाकिस्तान समाचार
    जम्मू-कश्मीर: सऊदी अरब और मलेशिया ने नहीं किया किसी का पक्ष, शांतिपूर्ण समाधान की अपील पाकिस्तान समाचार

    तैराकी

    बच्चों को माता-पिता का नजरिया समझा रहा चीन का ऑनलाइन गेम 'चाइनीज पेरेंट्स' चीन समाचार
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025