कोरोना वायरस के कारण देश में घटी ईंधन की खपत, दशक की सबसे बड़ी गिरावट
क्या है खबर?
बीते मार्च महीने में देश में ईंधन की खपत में लगभग 18 प्रतिशत की कमी आई है। यह पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय की सबसे बड़ी गिरावट है।
इसकी सबसे बड़ी वजह देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण को रोकने के लिए जारी 21 दिन का लॉकडाउन है। इसके चलते लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में 17.70 प्रतिशत की कमी आई है।
लॉकडाउन
पेट्रोल और डीजल की खपत में इतनी कमी
भारत में डीजल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ईंधन है।
मार्च में इसकी खपत 24.43 प्रतिशत कम होकर 5.65 मिलियन टन हो गई। यह आज तक देश में डीजल की खपत में हुई सबसे बड़ी कमी है।
इसका बड़ा कारण रेलवे सेवाओं और सार्वजनिक परिवहन की सेवाओं का बंद होना है।
वहीं पेट्रोल की बात की जाए तो लॉकडाउन के कारण मार्च में इसकी खपत 16.37 प्रतिशत घटकर 2.15 मिलियन टन रह गई है।
जानकारी
यहां देखिये खपत में कमी के आंकड़े
पिछले साल मार्च में 19.5 मिलियन टन पेट्रोलियम उत्पादों की खपत हुई थी, जो इस साल मार्च में घटकर 16.08 मिलियन टन रह गई है। मार्च के पहले पखवाडे में पेट्रोल, डीजल, जेट और शिपिंग फ्यूल की खपत में 10 प्रतिशत कमी देखी गई थी।
लॉकडाउन
केवल LPG की खपत में बढ़ोतरी
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के कारण भारत ने सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद घरेलू उड़ानें भी रद्द कर दी गई। इससे विमान जमीन पर खड़े हो गए, जिस वजह से ATF ईंधन की खपत में 32.4 प्रतिशत गिरावट देखी गई है।
इस दौरान केवल LPG की खपत बढ़ी है। लॉकडाउन से पहले लोगों ने सिलेंडर भरवाने में तेजी दिखाई, जिससे इसकी खपत 1.9 प्रतिशत बढ़ी।
ईंधन की खपत
विदेशों का भी यही हाल
कोरोना वायरस के कारण केवल भारत में ही ईंधन की खपत कम नहीं हुई है। इंग्लैंड, अमेरिका जैसे देशों में भी इसकी मांग में कमी आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में मार्च के पहले सप्ताह में ईंधन की खपत में 3.2 प्रतिशत कमी देखी गई थी।
यूरोपीय देशों की भी यही हाल है और एस्टोनिया और साइप्रस जैसे देशों में ईंधन की मांग में भारी कमी देखी जा रही है।
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चीन में भी यही हाल था
कोरोना वायरस का सबसे पहला शिकार हुए चीन में भी ईंधन की खपत में भारी कमी देखी गई थी। यहां भी लॉकडाउन के कारण कई शहर बंद थे। उन शहरों में पिछले साल की तुलना में 12 प्रतिशत कम मांग देखी गई।