GST परिषद की बैठक: हवाई सफर हो सकता है सस्ता, बीमा प्रीमियम में बड़े बदलाव संभव
21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 55वीं बैठक होने जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में खाद्य वितरण सेवाओं, बीमा प्रीमियम, साइकिल और पैकेज्ड पेयजल जैसी व्यापक उपभोग वाली वस्तुओं पर टैक्स दरों में कटौती की जा सकती है। इसके अलावा घड़ी, जूते और रेडीमेड कपड़ों जैसी चीजों पर कर की दरें बढ़ भी सकती हैं। आइए जानते हैं बैठक से क्या-क्या उम्मीदें हैं।
बीमा प्रीमियम पर हो सकते हैं बड़े ऐलान
बैठक में टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम को टैक्स से छूट देने के प्रस्ताव पर फैसला लिया जा सकता है। प्रीमियम पर सभी लोगों को GST पर छूट मिलने की संभावना है। इसमें परिवार के सदस्यों वाली योजनाएं भी शामिल हैं। वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को भी GST के दायरे से बाहर किया जा सकता है। हालांकि, 5 लाख रुपये से अधिक कवरेज वाली पॉलिसियों के प्रीमियम पर 18 प्रतिशत GST जारी रहेगा।
ये चीजें हो सकती हैं महंगी
बैठक में 148 वस्तुओं पर टैक्स रेट में बदलाव पर चर्चा होने की संभावना है। लग्जरी कलाई घड़ियां, जूते और महंगे रेडिमेड कपड़ों पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। तंबाकू जैसी हानिकारक चीजों पर 35 प्रतिशत टैक्स की नई स्लैब पेश की जा सकती है। इसके अलावा पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ छोटे पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री पर टैक्स दर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत की जा सकती है।
ऑनलाइन खाना मंगवाना हो सकता है सस्ता
स्विगी और जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए GST दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है। 20 लीटर और उससे अधिक मात्रा की पानी बोतलों पर GST 18 से घटाकर 5 प्रतिशत, नोटबुक और 10,000 रुपये से कम कीमत वाली साइकिलों पर GST 12 से घटाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है। GST दर युक्तिकरण पर गठित मंत्री समूह (GOM) ने इस संबंध में सिफारिशें की थीं।
GST के दायरे में आ सकता है ATF
चर्चाएं हैं कि बैठक में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) को GST के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। अभी ATF पर 11 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगती है उसके बाद वैट अलग से लगता है, जो हर राज्य में अलग-अलग होता है। ATF के GST के दायरे में आने से हवाई सफर सस्ता हो सकता है, क्योंकि एयरलाइनों के कुल खर्च में ATF की करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
मध्यस्थ सेवाओं पर हट सकता है टैक्स
बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, बैठक में ब्रोकरों, एजेंटों और ऑनलाइन बोली पोर्टलों जैसे कुछ मध्यस्थों को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। परिषद ऐसे मध्यस्थों को निर्यातक के रूप में वर्गीकृत कर शून्य दर में रख सकती है। फिलहाल ऐसी सेवाओं पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता है। अगर टैक्स हटता है तो भारत के मध्यस्थों को अपने विदेशी प्रतिस्पर्धियों के साथ एक समान स्तर पर काम करने का मौका मिल सकेगा।