
गूगल को अमेरिकी अदालत से झटका, विज्ञापन एकाधिकार का आरोप हुआ साबित
क्या है खबर?
अमेरिका की एक अदालत ने विज्ञापन एकाधिकार मामले में टेक दिग्गज कंपनी गूगल के खिलाफ फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा कि गूगल ने ऑनलाइन विज्ञापन तकनीक का गलत इस्तेमाल कर मुनाफा कमाया और बाकी कंपनियों को पीछे धकेला।
वर्जीनिया की जज लियोनी ब्रिंकमा ने इसे प्रतिस्पर्धा के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि गूगल ने पिछले 17 वर्षों में अपने यूट्यूब, क्रोम और मैप जैसे टूल्स से करीब 1.53 लाख अरब रुपये की कंपनी बना ली है।
मामला
DOJ ने क्यों उठाया मामला?
यह मामला अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) ने दायर किया था, जो गूगल की डिजिटल विज्ञापन रणनीति को लेकर चिंतित था।
आरोप था कि गूगल ने डबलक्लिक को 3.2 अरब डॉलर (लगभग 270 अरब रुपये) में और फिर एडमेल्ड को खरीदकर बाजार में पकड़ मजबूत की।
कोर्ट ने माना कि ये सौदे अकेले गैरकानूनी नहीं थे, लेकिन गूगल ने तकनीकी जोड़-तोड़ और अनुबंधों से पब्लिशर्स को मजबूर कर दिया कि वे केवल उसी की सेवाओं का इस्तेमाल करें।
कदम
गूगल करेगी अपील
फैसले के बाद गूगल ने कहा कि वह इस निर्णय से असहमत है और वह अपील करेगी।
कंपनी का दावा है कि उसके टूल्स सस्ते, आसान और असरदार हैं, इसलिए पब्लिशर्स उन्हें पसंद करते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह झटका पहले से तय लग रहा था।
इस खबर के बाद गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के शेयर 1 प्रतिशत गिरकर 151 डॉलर पर आ गए। इस साल अब तक इसमें 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।
कानूनी लड़ाई
अगला कदम और कानूनी लड़ाई
अब यह मामला सजा तय करने की प्रक्रिया में है, जो इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में शुरू हो सकती है।
इसके साथ ही, वॉशिंगटन डीसी में एक और सुनवाई होने वाली है, जिसमें गूगल को अपने ब्राउजर या कुछ विज्ञापन तकनीक बेचने का आदेश मिल सकता है।
सरकार चाहती है कि गूगल की यह एकाधिकार प्रणाली टूटे, ताकि अन्य कंपनियां भी कमाई कर सकें और यूजर्स को सस्ते विकल्प मिलें।