केंद्र सरकार ने 3 प्रतिशत बढ़ाया महंगाई भत्ता, जनवरी से होगा लागू
केंद्रीय कैबिनेट ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता तीन प्रतिशत बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित स्वीकृत फॉर्मूला के मुताबिक महंगाई भत्ते में ये तीन प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इस वृद्धि के साथ ही सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी का 34 प्रतिशत हो जाएगा। अब तक ये 31 प्रतिशत था। बढ़ा हुआ भत्ता 1 जनवरी, 2022 से लागू होगा।
1.16 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलेगा लाभ
केंद्र सरकार के इस फैसले से 47.68 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 68.62 लाख पेंशनर्स को लाभ मिलेगा। नागरिक सेवाओं के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों को भी महंगाई भत्ते में वृद्धि के इस फैसले का फायदा मिलेगा। हालांकि इस फैसले से सरकार पर बोझ भी बढ़ेगा। कैबिनेट के नोटिफिकेशन के अनुसार, महंगाई भत्ते में इस वृद्धि से सरकार पर सालाना 9,544.50 करोड़ रुपये का अधिक खर्च आएगा।
पिछले नौ महीने में दोगुना हुआ महंगाई भत्ता
बता दें कि इससे पहले सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में महंगाई भत्ते में वृद्धि की थी। तब भी इसमें तीन प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। इसे जुलाई, 2021 से लागू किया गया था। जुलाई में ही महंगाई भत्ते में 11 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी और इसे 17 प्रतिशत से 28 प्रतिशत कर दिया गया था। कोविड महामारी के कारण डेढ़ साल तक कोई इजाफा न होने के कारण भत्ते में इतनी अधिक वृद्धि की गई थी।
क्या होता है महंगाई भत्ता?
जब बढ़ती महंगाई के कारण वस्तुओं के दाम बढ़ते जाते हैं तो लोगों के पास मौजूद पैसे की क्रय क्षमता यानि वैल्यू कम होने लगती है। इस महंगाई से राहत देने के लिए सरकार कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देती है ताकि लोग बढ़ते हुए खर्चों का सामना कर सकें और जरूरत की चीजों की कीमत बढ़ने के बावजूद भी उनकी जेब पर अतिरिक्त खर्च न आए। राज्य सरकारें केंद्र सरकार के हिसाब से ही भत्ता बढ़ाती हैं।
महंगाई दर के आधार पर की जाती है भत्ते की गणना
महंगाई भत्ते की गणना के लिए सरकार ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स की महंगाई दर को आधार मनाती है और इसके आधार पर हर साल में दो बार कर्मचारियों का DA बढ़ाया जाता है। अभी पिछले दो महीने से देश की महंगाई दर दो-छह प्रतिशत की भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लक्ष्य से अधिक बनी हुई है। इस दर में यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण कच्चे तेल के दामों में हुई वृद्धि का असर शामिल नहीं है।