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2030 तक AI से 80 करोड़ नौकरियों को खतरा, कई कंपनियों के CEO ने दी चेतावनी
2030 तक AI से 80 करोड़ नौकरियों को खतरा

2030 तक AI से 80 करोड़ नौकरियों को खतरा, कई कंपनियों के CEO ने दी चेतावनी

Jul 09, 2025
03:24 pm

क्या है खबर?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण वैश्विक स्तर पर कई नौकरियां खत्म हो रही हैं और करोड़ों पर खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जून, 2025 के बीच AI के कारण 94,000 से ज्यादा तकनीकी नौकरियां चली गईं। मैकिन्से का अनुमान है कि 2030 तक दुनियाभर में 40 से 80 करोड़ नौकरियां AI की वजह से खत्म हो सकती हैं। यह दिखाता है कि ऑटोमेशन का असर अब व्यापक और तेजी से बढ़ रहा है।

#1

माइक्रोसॉफ्ट और एनवीडिया की सोच 

माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला ने कहा कि कंपनी AI की लहर का नेतृत्व कर रही है और इसका मकसद ग्राहकों को सफल बनाना है। एनवीडिया के प्रमुख जेन्सेन हुआंग ने बताया कि नौकरियां AI की वजह से नहीं जाएंगी, बल्कि उन लोगों की वजह से जाएंगी जो इसका इस्तेमाल करना नहीं सीखेंगे। इन दोनों लोगों का मानना है कि AI से लड़ने की बजाय इसे अपनाना ही एकमात्र रास्ता है।

#2

बैंकों पर असर, हजारों नौकरियों की कटौती 

DBS बैंक के पूर्व CEO पीयूष गुप्ता ने अनुमान लगाया कि AI के चलते अगले 3 से 4 वर्षों में बैंक की 4,000 नौकरियां खत्म हो सकती हैं। जेपी मॉर्गन की अधिकारी मैरिएन लेक ने कहा कि बैंक अकाउंट सेवाओं में कर्मचारियों की संख्या में 10 प्रतिशत तक कटौती AI की वजह से होगी। अमेजन के CEO ने भी कहा कि कुछ कॉर्पोरेट पदों की जरूरत AI आने के बाद खत्म हो जाएगी।

#3

CEO पद पर भी है खतरा 

एंथ्रोपिक के CEO डारियो अमोदेई ने चेतावनी दी है कि AI की वजह से प्रवेश स्तर की आधी व्हाइट-कॉलर नौकरियां खत्म हो सकती हैं। उनका कहना है कि अगर यह बदलाव तेजी से हुआ, तो 5 साल में बेरोजगारी की दर 10-20 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि AI का असर CEO जैसे बड़े पदों पर भी पड़ सकता है, कोई भी भूमिका पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।

#4

कौशल न बदला तो हो जाएगा नुकसान 

इनमोबी के CEO नवीन तिवारी ने कहा कि अब समय आ गया है जब कर्मचारियों को अपनी स्किल्स अपडेट करनी होंगी। उन्होंने इसे सीधा अस्तित्व का सवाल बताया और कहा कि जो लोग खुद को नहीं बदलेंगे, वे भविष्य में पीछे छूट जाएंगे। यह AI का दौर है, और जो इसके साथ खुद को ढालेगा, वही टिकेगा। कंपनियां भी अब उसी को प्राथमिकता दे रही हैं जो नया सीखने को तैयार है।