
डेनमार्क सरकार डीपफेक टूल्स पर लगाएगी लगाम, बदलेगी कॉपीराइट कानून
क्या है खबर?
डेनमार्क सरकार अब ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स पर लगाम लगाने जा रही है, जिनसे किसी व्यक्ति की आवाज, चेहरा या शरीर की नकली कॉपी बनाई जा सकती है। सरकार कॉपीराइट कानून में बदलाव करके डीपफेक और बिना इजाजत बनाए गए डिजिटल कंटेंट पर रोक लगाएगी। इसका मकसद यह है कि हर इंसान को अपने चेहरे और आवाज पर पूरा हक मिले। यह यूरोप का ऐसा पहला कानून होगा जो इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
कानून
कैसा होगा यह नया कानून?
डेनमार्क सरकार ने कहा है कि नए कानून के तहत कोई भी व्यक्ति अगर बिना अनुमति उसकी पहचान से मिलती-जुलती नकली फोटो, वीडियो या आवाज को हटवाना चाहता है, तो उसे यह अधिकार मिलेगा। ऐसे मामलों में पीड़ित को मुआवजा भी दिया जा सकता है। यह कानून बिना सहमति किसी कलाकार की आवाज या परफॉर्मेंस की नकली कॉपी पर भी लागू होगा। हालांकि, मजाक या व्यंग्य को इससे बाहर रखा गया है।
उदाहरण
यूरोप के लिए बन सकता है उदाहरण
डेनमार्क के संस्कृति मंत्री जैकब एंगेल-श्मिट ने कहा कि यह कानून बाकी यूरोपीय देशों के लिए मिसाल बन सकता है। वह चाहते हैं कि अन्य देश भी ऐसा कानून बनाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां इस नियम का पालन नहीं करेंगी तो उन पर जुर्माना लगेगा। जरूरत पड़ी तो यह मामला यूरोपीय आयोग तक भी जाएगा। सरकार चाहती है कि टेक प्लेटफॉर्म इस मुद्दे को गंभीरता से लें।
डीपफेक
क्या होता है डीपफेक कंटेंट?
डीपफेक कंटेंट मतलब ऐसी नकली फोटो, वीडियो या आवाज होती है, जो AI से बनाई जाती है और ये सब कुछ असली जैसा लगता है। जैसे किसी इंसान का चेहरा या आवाज बदलकर उसे ऐसा कुछ बोलता दिखाना, जो उसने असल में कभी नहीं कहा। मंत्री ने कहा कि इस तरह की नकली चीजों से लोग गुमराह हो सकते हैं, इसलिए अब सख्त कानून बनाना बहुत जरूरी हो गया है।