
मेटा ने रे-बैन चश्मे बनाने वाली कंपनी में किया 300 अरब रुपये का निवेश
क्या है खबर?
मेटा ने दुनिया की सबसे बड़ी चश्मा बनाने वाली कंपनी एस्सिलोरलक्सोटिका में 3.5 अरब डॉलर (लगभग 300 अरब रुपये) का निवेश किया है। यह वही कंपनी है जो रे-बैन चश्मे बनाती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मेटा ने इस फ्रांसीसी कंपनी में करीब 3 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है। यह सौदा मेटा की स्मार्ट ग्लास तकनीक में बढ़ती रुचि और निवेश को दर्शाता है। इस घोषणा के बाद एस्सिलोरलक्सोटिका के अमेरिकी शेयर 6.9 प्रतिशत बढ़ गए।
भविष्य
मेटा भविष्य में और बढ़ा सकती है हिस्सेदारी
कैलिफोर्निया स्थित मेटा आगे इस हिस्सेदारी को 5 प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है, लेकिन फिलहाल यह योजना शुरुआती स्तर पर है। कंपनी का लक्ष्य स्मार्ट ग्लास बाजार में तकनीकी नेतृत्व हासिल करना है। एस्सिलोरलक्सोटिका के साथ मेटा पहले से मिलकर कैमरा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) असिस्टेंट वाले रे-बैन ग्लास बनाता रहा है। यह सौदा स्मार्ट ग्लास को एक आम तकनीकी उत्पाद के रूप में बाजार में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
रणनीति
मार्क जुकरबर्ग की रणनीति
मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग ने पहले ही कहा है कि AI और स्मार्ट ग्लास कंपनी की भविष्य की प्राथमिकता हैं। यह सौदा मेटा को खुद का हार्डवेयर और वितरण चैनल बनाने में मदद करेगा, ताकि उसे एप्स के लिए दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े। इससे कंपनी को मैन्युफैक्चरिंग में विशेषज्ञता और वैश्विक नेटवर्क मिलेगा, जो उसे स्मार्ट ग्लास को बड़े स्तर पर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में सक्षम बनाएगा।
लाभ
एस्सिलोरलक्सोटिका को भी मिलेगा तकनीकी फायदा
एस्सिलोरलक्सोटिका को मेटा के निवेश से तकनीकी दुनिया में गहराई से प्रवेश करने का मौका मिलेगा। ये दोनों कंपनियां पहले से मिलकर रे-बैन और ओकले ब्रांड के स्मार्ट ग्लास पर काम कर रही हैं। CEO फ्रांसेस्को मिलेरी ने पहले ही संकेत दिया था कि मेटा निवेश में रुचि रखती है। इस सौदे से प्रेरित होकर वॉर्बी पार्कर जैसी अन्य चश्मा कंपनियों के शेयरों में भी 4.3 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई, जो इस सौदे के असर को दर्शाता है।