
कोरोना: क्या यात्रा पर पाबंदियां ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार पर रोक लगाने में मदद करेंगी?
क्या है खबर?
दक्षिण अफ्रीका में सामने आए कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' घोषित किया था।
इससे पहले ही कई देशों ने अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों पर पाबंदी लगा दी थी। वहीं अमेरिका समेत कुछ देशों ने WHO के ऐलान के बाद यात्रा पर पाबंदी का ऐलान किया है, लेकिन क्या ये पाबंदियां इस वेरिएंट को फैलने से रोकने में मदद करेगी?
यात्रा पाबंदियां
फिर शुरू हुई बहस
अमेरिका समेत कई देशों की प्रतिक्रिया से यह बहस फिर शुरू हो गई है कि क्या यात्रा पाबंदियों से नए वेरिएंट के प्रसार को रोका जा सकता है।
कुछ जानकार कहते हैं कि इन पाबंदियों की मदद से देशों को अपनी तैयारी करने का समय मिल जाता है। वहीं कुछ का कहना है कि पाबंदियों से प्रसार को नहीं रोका जा सकता और ऐसे कदम सुरक्षा की झूठी भावना देते हैं।
विशेषज्ञों की राय
"पाबंदियां नए वेरिएंट को नई रोक सकती"
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में संक्रामक बीमारियों के प्रोफेसर मार्क वूलहाउस ने कहा कि यात्रा पर पाबंदियों जैसे कदम देशों को तैयारियों का समय देते हैं, लेकिन नए वेरिएंट के प्रवेश को नहीं रोक सकते।
यही राय स्वीडन के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ एंड्रेस टेगनेल रखते हैं। उन्होंने बताया कि किसी देश से सीधी उड़ान को रद्द करने के अलावा ऐसे कदमों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और सभी यात्रियों पर निगरानी रखना संभव नहीं होता।
विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा की झूठी भावना देती हैं ये पाबंदियां- अदाल्जा
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से जुड़े संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ अमेश अदाल्जा ने कहा कि यात्रा पर पाबंदियां लोगों को सुरक्षा की झूठी भावना देती है। इनके सहारे नेता ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो कुछ कर रहे हैं, लेकिन जब आपके पास टेस्टिंग और वैक्सीनेशन जैसे तरीके हैं तो इन कदमों का कोई मतलब नहीं रह जाता।
अफ्रीका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने भी यात्रा पर पाबंदियों की निंदा की है।
कोरोना वायरस
पाबंदियां लगाना राजनीतिक फैसला- पीकॉक
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक समय जेनेटिक सीक्वेंसिंग का नेतृत्व करने वालीं वैज्ञानिक शेरॉन पीकॉक ने कहा कि लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाना राजनीतिक फैसला है और अभी तक इस वेरिएंट को लेकर विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है।
उन्होंने आगे कहा कि संक्रमण को बाहर रखना संभव है, लेकिन इसके लिए बहुत गंभीर पाबंदियों की जरूरत होती है और कुछ ही देश ये प्रतिबंध लगाना चाहेंगे। समय लेना जरूरी है, लेकिन यह नेताओं का फैसला होगा।
सकारात्मक पक्ष
प्रतिबंधों के पक्ष में क्या कहा जा रहा है?
कैंब्रिज स्थित वेलकम संगेर इंस्टीट्यूट में कोविड जेनेटिक्स के निदेशक जेफरी बैरेट ने कहा कि समय से नए वेरिएंट का पता चलने का मतलब है कि अगर अभी पाबंदियां लगाई जाती हैं तो इनका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि अभी इस वेरिएंट की शुरुआत हुई है और अभी ऐहतियाती कदम उठाने के लिए काफी समय है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इन पाबंदियों के नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं।
कोरोना का नया वेरिएंट
ओमिक्रॉन में हुई हैं 32 म्यूटेशन्स
दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना में पाए गए कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हुई हैं।
इसमें P681H और N679K जैसी म्यूटेशन भी हुई हैं जो अल्फा और गामा जैसे वेरिएंट में पाई जा चुकी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही वेरिएंट में इतनी म्यूटेशन खतरे की घंटी है और यह वेरिएंट अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है।