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कौन हैं भारतीय मूल की अनीता आनंद, जो कनाडा में प्रधानमंत्री पद की हैं प्रमुख दावेदार?
भारतीय मूल की अनीता आनंद कनाडा में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं

कौन हैं भारतीय मूल की अनीता आनंद, जो कनाडा में प्रधानमंत्री पद की हैं प्रमुख दावेदार?

Jan 07, 2025
06:50 pm

क्या है खबर?

कनाडा में सोमवार को जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पत्र से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ और लिबरल पार्टी के नेता का पद भी छोड़ दिया है। हालांकि, वह दूसरा नेता चुने जाने तक अपने पद पर बने रहेंगे। ऐसे में अब उनके दावेदार की तलाश शुरू हो गई है। इसमें भारतीय मूल की परिवहन मंत्री अनीता आनंद का नाम सबसे प्रमुख है। आइए जानते हैं कौन है अनीता आनंद और कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर।

परिचय

कौन है अनीता आनंद?

58 वर्षीय अनीता आनंद वर्तमान में कनाडा की परिवहन मंत्री हैं। उनका जन्म 1967 में कनाडा के नोवा स्कोटिया में हुआ था। उनके पिता तमिलनाडु और मां पंजाब से थी, जो 60 के दशक में नाइजीरिया से कनाडा चले गए थे। अनीता की शुरुआती पढ़ाई नोवा स्कोटिया में हुई थी, लेकिन 1985 में वह अपने जॉन के साथ ओंटारियो में शिफ्ट हो गई थीं। इस दौरान उन्होंने अपने चार बच्चों का पालन-पोषण ओकविले में किया और फिर आगे बढ़ती रही।

शिक्षा

अनीता ने हासिल की है ये प्रमुख डिग्रियां

अनीता ने क्वीन्स विश्वविद्यालय से राजनीतिक अध्ययन में कला स्नातक (ऑनर्स), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में कला स्नातक (ऑनर्स), डलहौजी यूनिवर्सिटी से विधि स्नातक और टोरंटो यूनिवर्सिटी से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने कुछ समय वकालत में भी बिताया था और वह बेहतर वकील बनकर उभरीं। यही कारण रहा कि साल 1994 में ओंटारियो बार ने उन्हें आमंत्रित कर अपना सदस्य बना लिया था।

करियर

कैसा रहा है अनीता का पेशेवर करियर?

अनीता एक विद्वान, वकील और शोधकर्ता भी रही हैं। उन्होंने टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर के रूप में भी काम किया था, जहां उन्होंने निवेशक संरक्षण और कॉर्पोरेट प्रशासन में जेआर किम्बर चेयर का पद संभाला था। उन्होंने एसोसिएट डीन के रूप में कार्य किया और मैसी कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड की सदस्य भी रही। वह रोटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के कैपिटल मार्केट्स इंस्टीट्यूट में नीति और अनुसंधान की निदेशक भी रह चुकी हैं।

राजनीति

कैसा रहा अनीता का राजनीतिक सफर?

अनीता राजनीति में आने के बाद पहली बार 2019 में ओकविले के लिए संसद सदस्य चुनी गई थीं। उन्होंने 2019 से 2021 तक सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री, ट्रेजरी बोर्ड की अध्यक्ष और राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के रूप में काम किया है। खरीद मंत्री के रूप में उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के दौरान वैक्सीन खरीद, व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण और त्वरित परीक्षण सुरक्षित करने के लिए अनुबंध वार्ता का नेतृत्व किया था। उनके कार्य की काफी प्रशंसा हुई थी।

उपलब्धियां

रक्षा मंत्री के रूप में ये रही अनीता की उपलब्धियां

राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के रूप में कार्य करने के दौरान अनीता ने सेना में यौन दुराचार खत्म करने के लिए कई सुधारात्मक कार्य किए। उन्होंने कनाडाई सशस्त्र बलों में संस्कृति परिवर्तन लाने के लिए सुधार भी पेश किए। इस दौरान, उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूक्रेनी सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए व्यापक सैन्य सहायता प्रदान करने के कनाडा के प्रयासों का भी नेतृत्व किया था। इससे उनकी छवि दमदार नेता के रूप में उभरी थी।

जानकारी

सितंबर 2024 में परिवहन मंत्री बनीं अनीता

अनीता को उनके कार्याें के इनाम के रूप में सितंबर 2024 में परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके साथ ही उन्हें ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। वह अब तक इन दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं।

कारण

ट्रूडो को क्यों देना पड़ा इस्तीफा?

ट्रूडो के इस्तीफा देने के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे। काफी समय से उनकी ही लिबरल पार्टी के कई सांसद उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। 20 सांसदों ने इसको लेकर एक प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। दिसंबर में उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने पद से इस्तीफा देकर ट्रूडो की परेशानियों को बढ़ा दिया था। उसके बाद ही ट्रूडो पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था। उन्हें पार्टी नेता का पद भी छोड़ना पड़ा है।

प्रक्रिया

क्या है आगे की प्रक्रिया?

कनाडा में अगले आम चुनाव अक्टूबर 2025 में होने हैं। ट्रुडो के इस्तीफे के बाद अब लिबरल पार्टी को अपना अगला मुखिया चुनने के लिए एक विशेष सम्मेलन आयोजित करना होगा जिसमें महीनों लग जाते हैं और अगर उससे पहले चुनाव हो जाते हैं, तो लिबरल पार्टी को मुश्किलें होंगी। वहीं प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद अगर किसी को अंतरिम नेता बनाया जाता है, तो ऐसा बहुत कम हुआ है कि वही नेता आम चुनावों में भी मुखिया हो।