नेपाल में क्यों होते हैं इतने विमान हादसे और इनका इतिहास क्या है?
नेपाल के पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास रविवार को हुए विमान हादसे में अब तक 68 लोगों की मौत हो गई है। यह विमान काठमांडू से उड़ा था और पोखरा में लैंड होने से महज कुछ सेकंड पहले ही क्रैश होकर आग के गोले में तब्दील हो गया। यह पिछले पांच सालों में नेपाल में हुआ पांचवां विमान हादसा है। आइये समझने की कोशिश करते हैं कि यह हादसा कैसे हुआ और यहां इतने हादसे क्यों होते हैं।
प्राथमिक जांच में तकनीकी खराबी मानी जा रही कारण
रविवार सुबह लगभग 11 बजे यती एयरलाइंस का एक विमान दुर्घटना का शिकार हुआ था। एयरलाइंस के प्रवक्ता ने बताया कि इसमें चालकदल के चार सदस्यों और 68 यात्रियों समेत कुल 72 लोग सवार थे। यह रनवे पर लैंड करने से महज 10-20 सेकंड पहले क्रैश हो गया और विमान के कॉकपिट से खतरे का कोई संकेत नहीं आया था। शुरुआती जानकारी के अनुसार, तकनीकी खराबी को इस हादसे का कारण माना जा रहा है।
हादसे का शिकार हुए विमान के बारे में जानिये
रविवार सुबह यती एयरलाइन का ATR72 विमान दुर्घटना का शिकार हुआ था। इस ट्विन-इंजन टर्बोप्रोप विमान का निर्माण एयरबस और इटली की लियोनार्डो का ज्वाइंट वेंचर करता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह विमान 15 साल पुराना था और इसमें लगा ट्रांसपोंडर पुरानी तकनीक वाला था। आज सुबह से इस विमान की यह तीसरी उड़ान थी। यह काठमांडू से उड़कर पोखरा और पोखरा से वापस काठमांडू गया था। हादसे के समय यह फिर पोखरा आ रहा था।
तीन दशकों में 28 विमान हादसे
पिछले तीन दशकों में नेपाल में 28 विमान हादसे हुए हैं और सैकड़ों लोगों मौत हुई है। सबसे बड़ा हादसा 1992 में हुआ था, जिसमें 167 लोगों की मौत हुई थी। नेपाल में हवाई कर्मचारियों की अपर्याप्त ट्रेनिंग और संचालन को लेकर लगातार चिंताएं रहती हैं। यूरोपीय संघ ने इन्हीं चिंताओं के चलते 2013 में नेपाल को फ्लाइट सेफ्टी की ब्लैकलिस्ट में डाल दिया था। अब नेपाल से कोई भी उड़ान यूरोपीय एयरस्पेस में नहीं जाती है।
क्या हैं इतने हादसों के कारण?
कर्मचारियों की खराब ट्रेनिंग, कठोर नियमों का न होना और भौगोलिक स्थिति हादसों के पीछे की प्रमुख वजहें मानी जाती हैं। भौगोलिक स्थिति की बात करें तो दुनिया के 14 सबसे ऊंचे पहाड़ों में से आठ हिमालय में बसे इस देश में मौजूद है। संकरी घाटियों के चलते पायलटों को विमान मोड़ने में मुश्किलों का सामना करन पड़ता है। काठमांडू एयरपोर्ट भी संकरी घाटी में मौजूद है। इसलिए यहां पायलट का कुशल होना जरूरी है।
मौसम भी पैदा करता है मुश्किल
पहाड़ों में तेजी से बदलने वाला मौसम भी पायलटों के सामने चुनौती खड़ी करता है। कई बार अचानक मौसम बदलने या बर्फबारी होने से रनवे पर लैंड करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में छोटी सी गलती बड़ा नुकसान कर सकती है।
दक्ष कर्मचारियों की कमी
नेपाल दक्ष कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। इसके चलते मौजूदा कर्मचारियों को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इससे उनके काम करने और फैसले लेने के क्षमता प्रभावित होती है। वहीं यहां की एविएशन अथॉरिटी पर भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगे हैं। 2019 में ऐसा ही मामला सामने आया था, जब विमान निर्माता कंपनी एयरबस की तरफ से नेपाली अधिकारियों को रिश्वत देने की बात सामने आई थी।
विमानों में आधुनिक तकनीक का न होना
नेपाल में ज्यादा विमान हादसों के पीछे विमानों में आधुनिक तकनीक का न होना भी है। कई विमानों में आधुनिक राडार भी नहीं होते, जिस कारण पायलटों को मौसम की रियल टाइम जानकारी नहीं मिल पाती। रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में भी पुराना ट्रांसपोंडर्स लगा हुआ था। पुरानी तकनीकों के साथ खराब मौसम और संकरी घाटियों के बीच विमान उड़ाना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है और कई बार यह हादसों की वजह भी बन जाता है।
क्या रहा है हादसों का इतिहास?
1992 में काठमांडू एयरपोर्ट पर पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का विमान दुर्घटनाग्रस्त। 167 मौतें। 2010 में दो विमान हादसों में 36 लोगों की मौत हुई थी। 2011 में ललितपुर में हुए हादसे में 10 भारतीयों समेत 22 लोगों की मौत। 2012 में दो हादसों में 22 लोगों की मौत। 2016 में पोखरा से उड़ान भरने के बाद विमान लापता हुआ। इस हादसे में 23 लोगों की जान गई थी। 2018 में त्रिभुवन एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे में 51 मौतें।
पिछले साल हादसे में हुई थी 22 लोगों की मौत
2019 में रास्ता भटकने के बाद एक हेलिकॉप्टर पहाड़ी से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें नेपाल के एक केंद्रीय मंत्री और एक कारोबारी की मौत हो गई थी। मई, 2022 में विमान दुर्घटना में चार भारतीयों समेत 22 लोगों की मौत हुई थी।