अमेरिका: फाइजर ने किया अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी के लिए आवेदन
अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने अमेरिका में अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी (EUA) के लिए आवेदन कर दिया है। दोनों कंपनियों ने शुक्रवार को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को अपना आवेदन सौंपा और FDA सारा डाटा देखने के बाद इस पर फैसला लेगा। अधिकारियों के अनुसार, फाइजर को दिसंबर में वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी मिल सकती है। इस संबंध में 10 दिसंबर को FDA की महत्वपूर्ण बैठक होनी है।
ट्रायल में 95 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है फाइजर की वैक्सीन
इसी बुधवार को अपनी वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल के नतीजे जारी करते हुए फाइजर ने कहा था कि यह 95 प्रतिशत प्रभावी है। लगभग 44,000 लोगों पर किए गए इस ट्रायल में वैक्सीन हर उम्र के लोगों के लिए कारगर पाई गई है। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है और किसी भी वॉलेंटियर में कोई गंभीर सुरक्षा चिंता देखने को नहीं मिली है।
10 दिसंबर को वैक्सीन पर FDA की महत्वपूर्ण बैठक
ट्रायल के नतीजों के बाद ही फाइजर ने कहा था कि वह जल्द ही आपातकालीन प्रयोग के लिए आवेदन डाल सकती है और अब ये आवेदन FDA को सौंप दिया गया है। मामले पर बयान जारी करते हुए FDA ने कहा कि उसकी वैक्सीन समिति की 10 दिसंबर को बैठक होगी और इसमें आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी पर फैसला लिया जाएगा। संस्था के प्रमुख स्टीफन हैन ने कहा कि FDA की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रहेगी।
दिसंबर में मिल सकती है मंजूरी
हैन ने कहा कि उन्हें नहीं अंदाजा की ट्रायल के डाटा की समीक्षा करने में कितना समय लगेगा, लेकिन अमेरिकी सरकार कह चुकी है कि दिसंबर में ही इसे मंजूरी मिल सकती है। बता दें कि अमेरिका के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ एंथनी फाउची भी दिसंबर से वैक्सीन उपलब्ध होने की बात कह चुके हैं और इसे सबसे पहले बुजुर्गों और स्वास्थ्यकर्मियों समेत उन लोगों को लगाया जाएगा जिनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सबसे अधिक संभावना है।
इस साल पांच करोड़ खुराकें बनाएगी फाइजर
फाइजर का कहना है कि वह इस साल वैक्सीन की पांच करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी, जो 2.5 करोड़ लोगों को महामारी से बचाने के लिए पर्याप्त होगीं। वहीं अगले साल 130 करोड़ खुराकों का उत्पादन किया जाएगा जिनमें से 10 करोड़ अमेरिका को जाएंगी।
वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना जरूरी
बता दें कि फाइजर की वैक्सीन के साथ सबसे बड़ी समस्या इसकी स्टोरेज को लेकर है और असरदार बनाए रखने के लिए इसे माइनस 70 डिग्री सेल्सियस के डीप फ्रीज तापमान पर रखना होगा। इतन कम तापमान वाले फ्रीजर आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं और अगर किसी देश को इस वैक्सीन का उपयोग करना है तो उसे इसके लिए नई कोल्ड चैन बनानी पड़ेगी जो बहुत महंगी साबित होगी। इसी कारण भारत में इसका प्रयोग लगभग नामुमकिन है।
मॉडर्ना की वैक्सीन भी पाई गई 94.5 प्रतिशत प्रभावी
गौरतलब है कि फाइजर के अलावा एक और अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना भी अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल के अंतरिम नतीजे जारी कर चुकी है और इसे 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। ये आंकड़ा ट्रायल में शामिल 95 लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद किए गए विश्लेषण पर आधारित है। अच्छी बात ये है कि मॉडर्ना को अल्ट्रा-फ्रीज की जरूरत नहीं है। कंपनी जल्द ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती है।
दुनियाभर में क्या है महामारी की स्थिति?
वैक्सीन के इंतजार के बीच दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक 5.76 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 13.72 लाख की मौत हुई है। सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में 1.19 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं और लगभग 2.54 लाख लोगों की मौत हुई है। 90 लाख से अधिक संक्रमितों के साथ भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है।