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    कोरोना से होने वाली मौतों को 71 प्रतिशत कम कर सकती है गठिया की दवा- अध्ययन

    कोरोना से होने वाली मौतों को 71 प्रतिशत कम कर सकती है गठिया की दवा- अध्ययन

    लेखन प्रमोद कुमार
    Nov 15, 2020
    03:44 pm

    क्या है खबर?

    बीते लगभग एक साल से पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप का सामना कर रही है।

    इसी बीच इस खतरनाक वायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की होड़ जारी है।

    इस कड़ी में एक बड़ी सफलता वैज्ञानिकों के हाथ लगी है। उन्होंने पता लगाया है कि गठिया (आर्थराइटिस) की दवा कोरोना वायरस के कारण बुजुर्गों की मौत की दर को 71 प्रतिशत तक कम कर सकती है।

    आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।

    शोध

    स्वीडन में हुआ शोध

    स्वीडन के कैरोलिन्स्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने पाया कि रोजाना Baricitinib की एक गोली और बेहतर देखभाल मध्यम और गंभीर संक्रमण वाले मरीजों की मृत्यु दर 71 प्रतिशत तक कम कर देती है।

    इस दवा को Olumiant नाम के तहत बेचा जाता है। इसका इस्तेमाल रूमेटाइड गठिया के इलाज के लिए होता है और यह लगभग तीन साल पहले उपलब्ध हुई थी।

    अब उम्मीद जगी है कि यह दवा कोरोना से होने वाली मौतों पर लगाम लगा सकती है।

    कोरोना वायरस

    लगातार बढ़ता जा रहा है महामारी का प्रकोप

    प्रभावी इलाज और वैक्सीन के लंबे होते इंतजार के बीच दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।

    जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, पूरी दुनिया में अभी तक 5.39 करोड़ लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 13.12 लाख की मौत हुई है।

    वहीं 1.09 करोड़ संक्रमितों के साथ अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित देश बना हुआ है। यहां अब तक 2.45 लाख मौतें हो चुकी हैं।

    जानकारी

    यूरोपीय देशों में फिर बढ़ने लगे मरीज

    अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों में संक्रमितों की संख्या में तेज इजाफा देखा जा रहा है। इसे देखते हुए यहां फिर से पाबंदियां लागू की जा रही है। भारत में कुछ हफ्तों से संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है।

    राहत

    वैक्सीन के मोर्चे पर क्या खबर है?

    अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना अगले हफ्ते अपनी संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल के अंतरिम नतीजे जारी कर सकती है।

    इसी के साथ वह अंतिम चरण के ट्रायल के नतीजे जारी करने वाली दूसरी कंपनी बन जाएगी। उससे पहले अमेरिका की ही फाइजर कंपनी अपनी वैक्सीन के ट्रायल के शुरूआती नतीजे जारी कर चुकी है।

    विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि फाइजर की वैक्सीन की तरह मॉडर्ना की वैक्सीन भी संक्रमण रोकने में प्रभावी साबित होगी।

    संभावित वैक्सीन

    एक साथ शुरू हुआ था मॉडर्ना और फाइजर का ट्रायल

    mRNA तकनीक पर आधारित मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल जुलाई में फाइजर के साथ ही शुरु हुआ था, लेकिन इसके नतीजे थोड़ी देरी से आ रहे हैं।

    इसका एक मुख्य कारण दोनों वैक्सीनों की खुराकों के बीच अंतराल है। जहां फाइजर की वैक्सीन की दो खुराकों को तीन हफ्ते के अंतराल पर दिया जाता है, वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन की दो खुराकों के बीच चार हफ्ते का समय होना जरूरी है।

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