अफगानिस्तान: काबुल में चीनी कारोबारियों के बीच चर्चित होटल में धमाका और गोलीबारी
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में सोमवार को एक होटल में जोरदार धमाके के साथ गोलीबारी की आवाज सुनी गई। यह होटल चीनी कारोबारियों के बीच काफी लोकप्रिय है। एक चश्मदीद ने AFP को बताया, "यह बहुत तेज धमाका था और इसके बाद ताबड़तोड़ गोलाबारी हुई।" पाकिस्तान स्थित एक सूत्र ने बताया कि अज्ञात संख्या में हमलावर होटल में घुसे थे। गोलीबारी अभी भी जारी है। घटना में किसी के हताहत होने की अभी कोई खबर नहीं है।
लोंगन होटल में हुआ हमला
यह हमला काबुल के शहर-ए-नौ स्थित लोंगन होटल में हुआ। यह एक घरनुमा बहुमंजिला बिल्डिंग है, जो चीनी व्यापारियों के बीच खासी लोकप्रिय है। शहर-ए-नौ काबुल के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक है, फिर भी इस धमाके के बाद कोई सुरक्षा अधिकारी तुरंत मौके पर तुरंत नहीं पहुंचा था। इस हमले ने एक बार फिर से सुरक्षा प्रदान करने के तालिबान के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हैं चीन और तालिबान के रिश्ते?
अफगानिस्तान के साथ चीन की लगभाग 76 किलोमीटर सीमा है और भले ही चीन ने अभी आधिकारिक तौर पर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी हो, लेकिन चीन यहां पूर्ण रूप से राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने वाले कुछ देशों में से एक है। चीन को लंबे समय से लग रहा है कि अफगानिस्तान से लगे झिंजियांग के संवेदनशील सीमा क्षेत्र में अलगाववादी गतिविधियां हो सकती है, हालांकि तालिबान भी चीन से शांति बनाए रखने का वादा किया है।
शांति बनाए रखने में नाकाम रहा तालिबान
अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। यहां तालिबान के सत्ता में काबिज होने बाद से कई हमले और बम विस्फोट हो चुके हैं। बीते साल सितंबर में इस्लामिक स्टेट (IS) के आत्मघाती बम विस्फोट में रुसी दूतावास के दो कर्मचारी मारे गए थे। इसी महीने पाकिस्तान के दूतावास में हुए हमले की जिम्मेदारी भी इसी आतंकी संगठन ने ली थी। इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हुआ था।
तालिबान और चीन एक-दूसरे से क्या चाहते हैं?
अफगानिस्तान ने सालों तक युद्ध झेला है। अब तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज है और उसने शांति कायम रखने के लिए चीन से समझौता किया है। इसके बदले में तालिबान को चीन से आर्थिक सहायता और निवेश चाहिए। चीन भी अफगानिस्तान में शांति चाहता है, ताकि वह यहां अपनी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ा सके। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को विकसित करके चीन एशिया के बाजारों में अपना निवेश बढ़ाना चाहता है और इसके लिए अफगानिस्तान महत्वपूर्ण है।