राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने किए 8,000 से ज्यादा झूठे और गुमराह करने वाले दावे
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को पद संभाले हुए दो साल पूरे हो गए हैं। लेकिन उनके लिए खुशियां बनाने का कोई मौका नहीं है और वह चौतरफा घिरे हुए हैं। एक तरफ मैक्सिको सीमा पर दीवार के मसले पर, उनके और डेमोक्रेट्स के बीच टकराव आपातकाल लगने की दहलीज पर पहुंच चुका है, वहीं अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ट्रम्प ने पद संभालने के बाद 8,000 से ज्यादा झूठे और गुमराह करने वाले वादे किए हैं।
अब तक किए 8,158 झूठे या गुमराह करने वाले दावे
'द वाशिंगटन पोस्ट' की एक खबर के अनुसार, राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने 8,158 झूठे या गुमराह करने वाले दावे किए हैं। अखबार ने फैक्ट चैकर डाटाबेस के आधार पर यह दावा किया है। यह राष्ट्रपति के हर भाषण का विश्लेषण करता है और चेक करता है कि उसमें कितना झूठ है और कितना सच। ट्रम्प ने सबसे ज्यादा झूठे और गुमराह करने वाले दावे इमिग्रेशन के मुद्दे पर किए। यह ट्रम्प का एक अहम चुनावी मुद्दा रहा है।
दूसरे साल में बोले 6,000 से ज्यादा झूठ
आंकड़ों के अनुसार, जहां पहले साल में ट्रम्प ने प्रतिदिन लगभग 5.9 झूठे या गुमराह करने वाले दावे किए, वहीं दूसरे साल में यह संख्या बढ़कर 16.5 प्रतिदिन हो गई। ट्रम्प ने अपने दूसरे साल के कार्यकाल में 6,000 से ज्यादा ऐसे दावे किए। राष्ट्रपति बनने के पहले 100 दिनों में ट्रम्प ने 492 ऐसे दावे किए जिनका कोई आधार नहीं था। अक्टूबर में मध्यावधि चुनाव के समय उन्होंने लगभग 1,200 झूठे और गुमराह करने वाले वादे किए।
सबसे ज्यादा दावे इमिग्रेशन के मुद्दे पर
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने सबसे ज्यादा 1,433 ऐसे दावे इमिग्रेशन के मुद्दे पर किए। विदेश नीति (900) और व्यापार (854) इस सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। इसके बाद अर्थव्यवस्था (790) और नौकरी (755) का नंबर आता है। रिपोर्ट में अन्य मुद्दों के लिए भी एक श्रेणी है जिसमें मीडियाकर्मियों और नापसंद लोगों के बारे में ट्रम्प ने ऐसे दावे किए। इस श्रेणी में किए गए दावों की संख्या 899 है।
रूस के मुद्दे पर भी किए गलत दावे
ट्रम्प ने रुस से खुद के संबंधों के बेहद विवादित मुद्दे पर भी कई बार झूठे या गुमराह करने वाले दावे किए। रिपोर्ट के अनुसार, 2016 राष्ट्रपति चुनाव में रुस की दखलअंदाजी के मुद्दे पर ट्रम्प ने 192 बार अपना बयान बदलते हुए इसे विरोधी डेमोक्रेट्स की एक साजिश बताया। दुनिया के सबसे ताकतवर देश की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठे शख्स के बारे में ये आंकड़े गंभीर हैं और आधुनिक राजनीति का एक प्रतिरूप पेश करते हैं।