लंदन: टिटियन की पेंटिंग हुई थी चोरी, वापस मिलने के बाद 1.8 अरब रुपये में बिकी
दुनियाभर में कला के कई प्रशंसक मौजूद हैं, जो पुश्तैनी और नायाब पेंटिंग्स को खरीदने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं। इसी कड़ी में अब बेहद मशहूर पेंटर टिटियन की एक खूबसूरत पेंटिंग नीलम हुई है। उनकी इस पेंटिंग का नाम 'रेस्ट ऑन दा फ्लाइट इंटू इजिप्ट' है, जिसे साल 1510 में बनाया गया था। यह दुर्लभ पेंटिंग चोरी हो गई थी और इसके दोबारा मिलने के बाद हाल ही में इसे लंदन में नीलाम किया गया है।
1 अरब रुपये से ज्यादा में बिकी यह ऐतिहासिक पेंटिंग
टिटियन द्वारा बनाई गई यह नायाब पेंटिंग नीलामी में करीब 1.8 अरब रुपये में बिकी है। इस पेंटिंग के बिकने के बाद एक नया रिकॉर्ड कायम हुआ है और यह टिटियन की सबसे महंगी बिकने वाली पेंटिंग बन गई है। यह पेंटिंग बेहद पुरानी और ऐतिहासिक है, जिसके चलते नीलामी से पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि यह करीब 1 से 2 अरब रुपये के बीच बिक सकती है।
टिटियन का नाम पश्चिमी देशों के सबसे दिग्गज कलाकारों की सूची में है शुमार
हाल ही में हुई यह नीलामी कला के जगत में बेहद महत्वपूर्ण है। लंदन के नीलामीघर क्रिस्टी के प्रमुख एंड्रयू फ्लेचर ने इसे इस दशक में बाजार में बिकने वाली टिटियन द्वारा बनाई गई सबसे खास पेंटिंग बताया। उन्होंने टिटियन के रंगों के उपयोग और प्रकृति में मौजूद आकृतियों की उनकी समझ को सराहनीय बताकर उनकी प्रशंसा की। इन्हीं कारणों से टिटियन पश्चिनी देशों के सबसे दिग्गज कलाकारों में से एक माने जाते हैं।
1995 में चोरी हुई थी यह नायाब पेंटिंग
इस दुर्लभ पेंटिंग को विल्टशायर के लॉन्गलेट हाउस से साल 1995 में चुरा लिया गया था। हालांकि, सौभाग्य से 7 साल बाद यह पेंटिंग दोबारा ढूंढ़ ली गई थी। यह एक प्लास्टिक से बने थैले में रखी हुई पाई गई थी और इसका फ्रेम गायब था। इसे एक होनहार जासूस ने अपनी चतुराई और सूझ-बूझ से 2002 में ढूंढ़ निकाला था। खोजे जाने के करीब 23 साल बाद इसे नीलाम किया गया है।
पेंटिंग पर बना है यह मनलुभावन दृश्य
इस पेंटिंग में एक कोमल दृश्य दर्शाया गया है, जिसमें मैरी यीशु को गोद में सुला रही हैं और जोसेफ उन्हें देख रहे हैं। यह पेंटिंग 2 फीट चौड़ी है और लकड़ी पर बनाई गई है। सालों से यह ऑस्ट्रियाई सम्राट जोसेफ द्वितीय जैसी कई प्रमुख हस्तियों के संग्रह का हिस्सा रही है और इसे वियेना के बेल्वेडियर महल में भी प्रदर्शित किया जा चुका है। फ्रांस के सैनिकों ने इसे 1809 में नेपोलियन के संग्रहालय से चुरा लिया था।