महिला को डॉक्टर बार-बार समझते रहे शराबी, जबकि असल में थी दुर्लभ बीमारी
क्या है खबर?
डॉक्टर को लोग भगवान का दर्जा देते हैं, क्योंकि वे लोगों का इलाज करके उन्हें जीवन दान देते हैं। हालांकि, कई दफा उनसे भी लोगों की बीमारियों को समझने में गलतियां हो जाती हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।
इसी कड़ी में कनाडा की रहने वाली एक महिला को डॉक्टर 2 सालों तक शराबी समझते रहे। हालांकि, बाद में खुलासा हुआ कि उन्हें कोई दुर्लभ बीमारी थी।
आइए इस खबर को विस्तार से जानते हैं।
मामला
महिला ने अपने जीवन में कभी नहीं पी शराब
दरअसल, इस 50 वर्षीय महिला को 2 साल में 7 बार एमरजेंसी वॉर्ड में ले जाना पड़ा था, जहां डॉक्टर उन्हें बताते रहे की वह नशे में हैं। हालांकि, महिला का दावा है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी शराब नहीं पी थी।
टोरंटो विश्वविद्यालय के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. राहेल जेवुडे ने बताया, "उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि उनका धर्म शराब पीने की अनुमति नहीं देता है और उसके पति ने भी माना कि वह शराब नहीं पीती थी।"
बीमारी
महिला को है ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम नामक गंभीर बीमारी
जेवुडे ने इस अज्ञात महिला का इलाज किया और कनाडा के मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में उनके मामले पर एक रिपोर्ट का सह-लेखन किया। महिला ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम से पीड़ित हैं, जो एक बेहद दुर्लभ और गंभीर बीमारी है।
यह बीमारी तब होती है जब गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में खमीर या बैक्टीरिया की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है। ये खमीर और बैक्टीरिया भोजन से कार्बोहाइड्रेट को फरमेंट करके अल्कोहल में बदल देते हैं।
लक्षण
बीमारी के कारण महिला को आती थी अत्यधिक नींद
महिला अपनी इस दुर्लभ बीमारी के दौरान अत्यधिक नींद की परेशानी से जूझ रही थीं। काम के लिए तैयार होते या खाना बनाते समय वह अचानक सो जाती थीं, जिसके कारण वह कई बार डॉक्टर के पास गईं थीं।
एमरजेंसी रूम के डॉक्टरों ने बताया कि वह नींद के कारण गिर भी गईं थीं। बात करते समय उसकी जुबान भी लड़खड़ाती थी और उनके मुंह से शराब की गंध भी आती रहती थी।
भोजन
महिला खाती थीं अधिक कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन
जेवुडे ने बताया, "अगर महिला ने बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट नहीं खाए होते, तो उनके लक्षण इतने बुरे नहीं होते।"
डॉक्टर के मुताबिक वह अक्सर केक या कोई अन्य कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन खा लेती थीं, जिससे उसके शराब के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई। 40 की उम्र से ही महिला मूत्र पथ के संक्रमण (UTI) से भी पीड़ित थीं।
वह UTI के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रिफ्लक्स रोग के लिए सीने में जलन की दवा लेती थीं।
अन्य मामले
इससे पहले भी सामने आए हैं इस बीमारी के कई मामले
यह ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का पहला मामला नहीं है। इससे पहले 1940 में भी ऐसे एक मामले का जिक्र किया गया था।
इस साल अप्रैल महीने में भी बेल्जियम के एक व्यक्ति पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, उन्हें इस बीमारी की पुष्टि के बाद आरोपों से बरी कर दिया गया था।
साथ ही पिछले साल लॉन्ग आइलैंड के एक व्यक्ति ने इस बीमारी के कारण अपनी शिक्षक की नौकरी गवा दी थी।