लंदन: रूबेंस की सदियों पुरानी पेंटिंग की होगी नीलामी, 63 करोड़ रुपये में बिकने की उम्मीद
क्या है खबर?
पीटर पाल रूबेंस बेल्जियम के महान चित्रकार थे, जिनकी बनाई पेंटिंग बहुत ही बेशकीमती मानी जाती है।
अब एक खबर सामने आ रही है कि रूबेंस की एक सदियों पुरानी पेंटिंग को अगले महीने लंदन की सोथबी नामक कंपनी नीलामी में बेचने वाली है और इसकी 7.7 मिलियन डॉलर (लगभग 63 करोड़ रुपये) में बिकने की उम्मीद है।
ART न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ समय तक किसी को नहीं पता था कि रूबेंस की कोई पेंटिंग भी है।
पेंटिंग
साल 2008 में 40,000 डॉलर में बेची गई थी पेंटिंग
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पेंटिंग को आखिरी बार साल 2008 में 40,000 डॉलर में बेचा गया था, लेकिन उस समय इसे फ्रांसीसी कलाकार लॉरेंट डे ला हायर की पेंटिंग माना गया था।
हालांकि, जब नीलामी कंपनी में पहुंची तो उसने पाया कि यह रूबेंस की बनाई गई पेंटिंग है, इसलिए इसे खोई हुई पेंटिंग कहा जा रहा है।
इस पेंटिंग का टाइटल सेंट सेबेस्टियन टेंडेड बाय एंजल्स है।
प्रदर्शनी
एक प्रदर्शनी में हुई पेंटिंग की तुलना
जब साल 2021 में इस पेंटिंग को लॉरेंट की एक पेंटिंग के साथ प्रदर्शित किया गया था तो विद्वानों ने कहा कि यह रूबेंस की पेंटिंग है और कोर्सिनी में इसकी एक कॉपी लटकी हुई है।
सोथबी ने अपनी वेबसाइट पर पेंटिंग का वर्णन करते हुए लिखा, 'साल 2021 की प्रदर्शनी के अवसर पर दोनों पेंटिंग के बीच की गई तुलना इनकी उच्च गुणवत्ता को प्रकट करती प्रतीत होती है।'
जानकारी
एक्स-रे विश्लेषण से की गई पेंटिंग की मूल पहचान
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, पेंटिंग की मूल पहचान एक्स-रे विश्लेषण की मदद से की गई।
पेंटिंग में रोमन सैनिक सेबस्टियन की कहानी को दर्शाया गया है, जो सैनिकों के तीरों से छेदा गया था और स्वर्गदूतों के चमत्कारिक रूप से हस्तक्षेप करने से पहले मरने के लिए छोड़ दिया गया था।
यह पेंटिंग काफी समय से इटली के अमीर और सैन्य कमांडर एम्ब्रोगियो स्पिनोला के पास थी।
बयान
पेंटिंग की जीवंतता की सराहना करना आसान- जॉर्ज गॉर्डन
CNN से बातचीत करते हुए सोथबी के सह-अध्यक्ष जॉर्ज गॉर्डन ने कहा कि इस पेंटिंग ने दुनियाभर के चित्रकारों पर जबरदस्त छाप छोड़ी है।
उन्होंने आगे कहा, "इस पेंटिंग में दर्शाई गई जीवंतता की सराहना करना आसान है, लेकिन इसे एकदम सही तरह से बनाना बहुत ही कठिन है।"
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेंटिंग 1730 के रिकॉर्ड किए गए इतिहास से गायब हो गई और 1963 में मिसौरी में फिर से दिखाई दी।