#NewsBytesExplainer: क्या होता है डोप टेस्ट और खेलों में कैसे और कब हुई थी इसकी शुरुआत?
हाल ही में नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने इस साल के शुरुआती 5 महीनों में किए डोप टेस्ट के बारे में जानकारी दी। आंकड़ों के अनुसार, इस साल कुल मिलाकर 55 क्रिकेटरों (पुरुष और महिला) का डोप टेस्ट किया गया। क्रिकेट के अलावा भारोत्तोलक मीराबाई चानू और शटलर साइना नेहवाल समेत कई अन्य खिलाड़ियों के भी टेस्ट लिए गए। आइए डोप टेस्ट और इसके इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं।
खेलो में सबसे ज्यादा होता है शारीरिक ऊर्जा या ताकत का महत्व
शतरंज जैसे कुछ खेलों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर खेलों में शारीरिक क्षमता महत्वपूर्ण होती है। टेनिस कोर्ट में दनदनाता रिटर्न मार रहे जोकोविच हो, फील्ड पर फर्राटा दौड़ रहे बोल्ट हो, बैडमिंटन कोर्ट में जोरदार स्मैश लगा रही पीवी सिंधु हो या फिर वेटलिफ्टिंग में 100 किलो से ज्यादा वजन उठा रही मीराबाई। ये सभी खिलाड़ी अपने-अपने खेलों में ऊर्जा खर्च करते हैं और परिणामस्वरूप थकते हैं। ऐसे में सभी खिलाड़ी अपनी फिटनेस पर खूब मेहनत करते हैं।
खेलों में क्या होती है डोपिंग?
सफलता का रास्ता कड़ी मेहनत से होकर जाता है, लेकिन कुछ खिलाड़ी सफलता का स्वाद तो चखना चाहते हैं, लेकिन परिश्रम के पसीने से परहेज करते हैं। ऐसे में ये खिलाड़ी कुछ ऐसे पदार्थों का सेवन करने से भी नहीं चूकते, जिससे उनकी शारीरिक दक्षता और ताकत में इजाफा होता है। वह इनके सेवन से खेल में जल्दी से नहीं थकते और इन प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन को ही डोपिंग कहा जाता है।
कौन करता है डोपिंग की जांच?
खेलों में डोपिंग के दंश को रोकने के लिए वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) की स्थापना 1999 में की गई थी। WADA हर साल प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी करता है, जिनके विश्व के तमाम देशों में खेलों के दौरान प्रयोग पर रोक होती है। भारत में NADA की स्थापना 2005 में की गई थी। यह देश के भीतर और WADA के अनुसार डोपिंग रोधी नियमों और नीतियों को अपनाने और लागू करने से संबंधित है।
कैसे किया जाता है डोप टेस्ट?
किसी खिलाड़ी ने प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया है या नहीं, इसका पता डोप टेस्ट के जरिए किया जाता है। अमूमन इस प्रक्रिया में खिलाड़ियों के पेशाब या खून का सैंपल लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है। कोई भी खिलाड़ी जो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने राज्य या देश का प्रतिनिधित्व करता है, वो WADA के अधीन है और एंटी-डोपिंग प्रक्रिया के अनुसार, कभी भी और कहीं भी उनका परीक्षण किया जा सकता है।
भारत में 1968 में सामने आया था डोपिंग का पहला मामला
मैक्सिको में होने वाले ओलंपिक खेलों का टिकट हासिल करने के लिए 1968 में भारत में रेस आयोजित हुई, जिसमें राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक किरपाल सिंह ने हिस्सा लिया। 10,000 मीटर की उस रेस को किरपाल पूरी नहीं कर सके और ट्रैक छोड़कर स्टेडियम की सीढ़ियों पर चढ़ गए थे। उनके मुंह से झाग निकलने लगा और उनका इलाज किया गया। किरपाल ने बाद में स्वीकार किया था कि उन्होंने कुछ 'दवा' ली थी जो एक अधिकारी ने उन्हें दी थी।
ओलंपिक में 1968 में पहली बार आया था डोपिंग का मामला
इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी (IOC) ने 1968 में आयोजित हुए ओलंपिक में पहली बार खिलाड़ियों के नमूने लेने शुरू किए थे। स्वीडन के हंस-गुन्नार लिलजेनवाल पहले ऐसे खिलाड़ी बने थे, जिन्हें प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन का दोषी पाया था था। कथित तौर पर उन्होंने पिस्टल शूटिंग से पहले अपनी घबराहट को शांत करने के लिए कुछ बीयर पी थी और बाद में उनसे वो कांस्य पदक छीना गया था, जो उन्होंने ओलंपिक में जीता था।
ओलंपिक में हिस्सा ले चुके इन भारतीय खिलाड़ियों पर हाल ही में लगा प्रतिबंध
2020 टोक्यो ओलंपिक में छठे स्थान पर रहने वाली चक्का फेंक खिलाड़ी कमलप्रीत कौर पर जनवरी 2023 में 3 साल का प्रतिबंध लगा था। भारतीय जिम्नास्ट दीपा कर्माकर 2021 में डोप टेस्ट में फेल हो गई थी और उन पर भी 3 साल का प्रतिबंध लगा था। टोक्यो ओलंपिक में शिरकत करने के कुछ महीने बाद भाला फेंक खिलाड़ी शिवपाल सिंह पर 4 साल का प्रतिबंध लगा था। वह एनाबॉलिक स्टेरॉयड के प्रभाव में पाए गए थे।
डोपिंग के कलंक से अछूता नहीं है क्रिकेट
भारतीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ 2019 में डोप टेस्ट में फेल हो गए थे। उन पर 8 महीने का प्रतिबंध लगा था। उन्होंने जानकारी दी थी कि कफ सिरप के जरिए अनजाने में उन्होंने प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया था। उनसे पहले युसूफ पठान को 2018 में 5 महीने के लिए प्रतिबंधित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तो शेन वॉर्न और शोएब अख्तर जैसे कई नामी खिलाड़ी डोपिंग में लिप्त रह चुके हैं।
डोपिंग वाले शीर्ष देशों में बरकरार है भारत की स्थिति
WADA ने इस साल मई में एक रिपोर्ट जारी की, जिसके मुताबिक 2020 में भारत डोपिंग के मामलों में दूसरे स्थान पर रहा। अलग-अलग खेलों में भारतीय दल से कुल 59 डोपिंग के मामले सामने आए। इस सूची में सिर्फ रूस (135) ही भारत से आगे रहा। इससे पहले 2019 में भारत में डोपिंग के 152 मामले सामने आए थे। शर्मनाक बात यह है कि 2013 के बाद से लगातार भारत टॉप-7 देशों में बना हुआ है।
क्या जागरूकता से हो सकता है भारत की स्थिति में सुधार?
कुछ खिलाड़ी जानबूझकर डोपिंग करते हैं, जिसमें पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई होती है, जबकि अनजाने में हुई भूल पर कुछ महीनों का प्रतिबंध लगता है। ऐसे में जूनियर स्तर पर खिलाड़ियों को इसको लेकर जागरूकता की जरूरत है। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने भी सुझाव दिया था कि भारोत्तोलन जैसे खेलों में प्रचलित डोपिंग के खतरे को दूर करने के लिए एथलीटों को दंडित करने की तुलना में जागरूकता पैदा करना अधिक प्रभावी समाधान है।
न्यूजबाइट्स प्लस
NADA की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय क्रिकेटर रविंद्र जडेजा के इस साल जनवरी से मई के बीच 3 बार डोप टेस्ट के लिए नमूने लिए गए। वह इस अवधि के दौरान सबसे अधिक टेस्ट किए जाने वाले क्रिकेटर बन गए हैं।