#NewsBytesExplainer: मेवात में रहने वाले मेव मुस्लिम कौन हैं और क्या है उनका इतिहास?
हरियाणा का मेवात इलाका सांप्रदायिक हिंसा की वजह से खबरों में है। यह एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और मेवात में रहने वाले मुस्लिमों का इतिहास काफी पुराना है। मेवात में मुसलमान करीब 500 साल से रह रहे हैं। यहां रहने वाले मुसलमानों को पूरा मुस्लिम नहीं माना जाता है क्योंकि इनकी बहुत सारी परंपराएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं और इन्हें 'मेव मुस्लिम' कहा जाता है। आइए जानते हैं कि मेव मुस्लिम कौन हैं और इनका इतिहास क्या है।
मेव मुस्लिमों को लेकर क्या मत?
मेव मुस्लिमों को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ कहते हैं कि यह ईरान से आकर भारत में बसे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह मेव हिंदू राजपूत, जाट, अहीर और मीणा थे, जिन्होंने 15वीं से 17वीं शताब्दी के बीच इस्लाम अपना लिया था। मेव मुस्लिमों की करीब 20 लाख की आबादी हरियाणा के मेवात जिले और राजस्थान के निकटवर्ती अलवर और भरतपुर में बसी है। मेवात में रहने वाले मुस्लिम लोग मेवाती बोलते हैं।
खुद को अर्जुन का वंशज मानते हैं मेव मुस्लिम
मेवात के मेव मुस्लिम को लेकर कई लोकगाथाएं भी प्रचलित हैं। महाभारत के मेवाती संस्करण में मेव खुद को अर्जुन के वंशज के रूप में वर्णित करते हैं। इतिहाकारों का मानना है कि मेवात इलाके में मुस्लिमों को दृढ़ विश्वास है कि वह अर्जुन के वंशज क्षत्रिय हैं, जो सूफी पीर के प्रभाव में धीरे-धीरे इस्लाम में परिवर्तित हो गए। मेव मुस्लिमों की एक अलग पहचान है, जो उन्हें मुख्यधारा के हिंदुओं और मुस्लिमों, दोनों से अलग करती है।
मेव मुस्लिम ने मुगलों से खिलाफ लड़ी थी लड़ाई
इतिहासकारों का मनाना है कि मेव मुस्लिम आजादी से पहले से भारत में हैं। 27 मार्च, 1527 को मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के खिलाफ मेव मुस्लिमों ने मेवाड़ के राजा राणा सांगा का साथ दिया था। इस युद्ध में उनके राजा हसन खान मेवाती वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उन्होंने खुद को राजा सांगा के लिए बलिदान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह मजहब से मुस्लिम और खून से राजपूत हैं।
महात्मा गांधी के कहने पर भारत में रुके थे मेव
भारत की आजादी के वक्त मेवात के राजा ने मेव मुस्लिमों के लिए 'क्रबिस्तान या पाकिस्तान' का नारा दिया था। इसी बीच महात्मा गांधी अपनी हत्या से करीब एक महीने पहले 9 दिसंबर, 1947 को मेवात की यात्रा पर पहुंच गए। उन्होंने मेव मुस्लिमों को आश्वस्त किया कि उन पर भारत में कोई अत्याचार नहीं होगा और वे भारत छोड़कर नहीं जाएं। इसके बाद मेव मुस्लिमों ने भारत में ही रहने का मन बना लिया।
गांधी की हत्या से मेवों को लगा था झटका, आज तक करते हैं याद
गांधी ने मेवात के मेव मुस्लिमों को भारत की रीढ़ कहा था। इतिहासकारों का कहना है कि गांधी की हत्या से मेव मुस्लिमों को बड़ा झटका लगा था और उन्हें भारत से बेदखल किए जाने का खतरा दिखने लगा था। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। मेव गांधी की मेवात यात्रा को साल 2000 से 'मेवात दिवस' के रूप में मनाते आ रहे हैं। हर साल 9 दिसंबर को मेव घासेरा गांव में इकट्ठा होते हैं और गांधी को याद करते हैं।
देश के सबसे पिछड़े जिलों में आता है मेवात
इस समृद्ध इतिहास से परे मेवात जिला (2016 से नूंह) देश के सबसे ज्यादा पिछड़े जिलों में से एक है। 2018 में नीति आयोग ने नूंह को भारत का सबसे पिछड़ा जिला बताया था। यह इलाका अपराधों के लिए कुख्यात है और हालिया समय में यहां साइबर अपराध बढ़े हैं। हालांकि, यहां खुली सांप्रदायिकता कभी नहीं रही। 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले के करीब 11 लाख लोगों में से 79.2 प्रतिशत मुस्लिम और 20.4 प्रतिशत आबादी हिंदू हैं।
मौजूदा हिंसा पर अन्य समुदायों का क्या कहना है?
मौजूदा सांप्रादायिक हिंसा के मामले में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मेव मुस्लिमों का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने देश की आजादी में संघर्ष किया था। स्थानीय जाट और अन्य समुदाय भी उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि मेव कभी कट्टर नहीं रहे और उनके निकाहों में कई हिंदू रीति-रिवाज शामिल होते हैं। इनके नाम भी हिंदुओं जैसे होते हैं और कई मेव अपने नाम के पीछे 'सिंह' लगाते हैं।