मेसी के पास केवल एक स्किल है, माराडोना और मुझसे काफी पीछे हैं मेसी- पेले
ब्राज़ील के महानतम खिलाड़ी पेले के मुताबिक अर्जेंटीनी स्टार लियोनल मेसी के पास केवल एक स्किल है और पूर्व अर्जेंटीनी लेजेंड डिएगो माराडोना मेसी से बेहतरीन खिलाड़ी थे। पेले के मुताबिक वो खुद मेसी से बेहतरीन आलराउंड खिलाड़ी थे, क्योंकि मेसी केवल एक पैर से गोल दागते हैं। दूसरी ओर काफी सारे लोगों का मानना है कि मेसी फुटबॉल के सबसे महान खिलाड़ी हैं और उनके द्वारा जीते गए पांच बैलन डे ऑर अवार्ड इस बात की गवाही देते हैं।
मेसी के साथ कैसे कर सकते हैं हमारी तुलना?- पेले
अपने फुटबॉल करियर में 1,000 से ज्यादा गोल दागने और तीन बार वर्ल्ड कप जीतने वाले पेले का कहना है कि मेसी की तुलना उनसे या माराडोना से नहीं की जा सकती है। पेले ने कहा, "एक खिलाड़ी जो अपने दोनों पैरों से गोल दागता है, हेडर लगाता है तो वहीं दूसरा केवल एक पैर से ही गोल दागता है ऐसे में आप दोनों की तुलना कैसे कर सकते हैं? मेसी तो ठीक से हेडर भी नहीं लगा पाते हैं।"
पेले की नजर में मेसी से बेहतर हैं माराडोना, क्रुएफ और फ्रांक बेकेनबाउर
पेले के मुताबिक मेसी ऑल टाइम ग्रेट खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि डिएगो माराडोना को वे सबसे बेहतरीन खिलाड़ी मानते हैं। नीदरलैंड के पूर्व खिलाड़ी योहान क्रुएफ को भी पेले ने मेसी से बेहतरीन बताया है। इसके अलावा जर्मनी के पूर्व खिलाड़ी बेकेनबाउर भी पेले की नजर में कम्प्लीट खिलाड़ी थे। यह बात तो साफ है कि पेले को मेसी बहुत ज्यादा पसंद नहीं हैं और उन्हें लगता है कि उनके जमाने के खिलाड़ी ज्यादा बेहतरीन थे।
आंकड़ें बताते हैं कि महान हैं मेसी
बार्सिलोना में लगभग एक दशक से ज्यादा का समय बिता चुके मेसी के नाम शायद ही कोई रिकॉर्ड न दर्ज हो। अपने क्लब के लिए मेसी ने 653 अपिएरेंस में 567 गोल दागे हैं जो कि अदभुत हैं। अर्जेंटीना के लिए भी मेसी ने 128 मैचों में 65 गोल दागे हैं। हालांकि अर्जेेंटीना के साथ मेसी कोई बड़ा खिताब नहीं जीत सके हैं। मेसी ने पांच गोल्डेन बॉल, नौ ला-लीगा, चार चैंपियन्स लीग और तीन क्लब वर्ल्ड कप जीते हैं।
महान खिलाड़ियों से नहीं होनी चाहिए तुलना
पेले, माराडोना या फिर क्रुएफ के खेलने का समय अलग था और मेसी के खेलने का समय अलग है। आज के दौर में खिलाड़ियों को काफी कुछ झेलना पड़ता है। मीडिया से लेकर फैंस तक की निगाहें हमेशा खिलाड़ी पर लगी रहती हैं। पहले के दौर में न तो सोशल मीडिया था और न ही इतनी तेजी, तो खिलाड़ी को सिर्फ मैदान में ही टेंशन होती थी। आज के दौर में खेल का स्तर भी काफी बढ़ा है।