भारत में आईपैड मैन्युफैक्चर कर सकती है ऐपल, मिलेगा सरकार का सहयोग
प्रीमियम टेक कंपनी ऐपल अपने आईपैड टैबलेट की मैन्युफैक्चरिंग भारत में करने का मन बना रही है। ऐसा करते हुए ऐपल भारत से कंप्यूटर प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट बढ़ाने से जुड़ी स्कीम में हिस्सा लेगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत सरकार देश में टैबलेट और लैपटॉप जैसे IT प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने से जुड़ा अभियान लाने वाली है। इसका फायदा उठाते हुए ऐपल चीन पर निर्भरता कम करना चाहेगी।
एक्सपोर्ट के बदले मिलेगा कैशबैक
भारत सरकार पिछले साल स्मार्टफोन्स के निर्यात को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए 6.7 अरब डॉलर की योजना लेकर आई थी और नई स्कीम इससे ही जुड़ी है। सरकार इसकी मदद से भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा करना चाहती है। नई परफॉर्मेंस-लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम का बजट पांच साल के लिए करीब 70 अरब रुपये तक हो सकता है और इस स्कीम में मैन्युफैक्चरर्स को प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करने के बदले कैशबैक दिया जाएगा।
फिलहाल चीन में असेंबल होते हैं आईपैड
ऐपल ने साल 2017 में भारत में आईफोन्स मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की थी और इसके लिए ऐपल फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन की लोकल यूनिट्स पर भरोसा करती है। फिलहाल सामने नहीं आया है कि भारत में कौन सा सप्लायर ऐपल आईपैड मैन्युफैक्चर करेगा। ऐपल ने कहा है कि कंपनी अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स के साथ सरकार की योजना का हिस्सा बनेगी। बता दें, अभी सबसे ज्यादा आईपैड टैबलेट्स को चीन में असेंबल किया जाता है।
चीन पर निर्भरता घटाएगी ऐपल
अमेरिका और चीन के बीच देखने को मिल रही ट्रेड वॉर का असर ऐपल की सप्लाई-चेन पर ना पड़े इसलिए कंपनी चीन पर निर्भरता घटाना चाहती है। कैलिफोर्निया की टेक कंपनी अपने डिवाइसेज की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत और वियतनाम जैसे देशों को विकल्प के तौर पर देख रही है। भारत में आईपैड और दूसरे ऐपल डिवाइसेज असेंबल होने का मतलब है कि इनकी शिपिंग पर आने वाला खर्च कम होगा और भारत में इनकी कीमत कम हो सकती है।
भारत में करेगी अरबों रुपये का निवेश
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐपल भारत में करीब 200 अरब रुपये तक के निवेश की योजना बना सकती है। दरअसल, भारत में बड़े स्तर पर IT प्रोडक्ट्स तैयार करने और टेक प्रोडक्ट्स के ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट्स को टक्कर देने वाली सप्लाई-चेन नहीं है, जिसे तैयार करने के लिए बड़ी कंपनियां देश में निवेश कर सकती हैं। भारत सरकार ऐसे निवेश को आकर्षित करने के लिए नई योजना अगले दो महीने में घोषित कर सकती है।