
क्या होता है शून्य गुरुत्वाकर्षण, जिसका अंतरिक्ष में होता अनुभव?
क्या है खबर?
पृथ्वी पर हम हर समय गुरुत्वाकर्षण बल को महसूस करते हैं, जो हमें जमीन पर टिकाए रखता है।
हालांकि, जब कोई अंतरिक्ष में जाता है, तो वहां यह बल बहुत अलग तरीके से काम करता है। वहां चीजें हवा में तैरती हुई नजर आती हैं।
इसका कारण है कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बहुत कमजोर हो जाता है। इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों को ऐसा महसूस होता है कि उनका शरीर बिल्कुल हल्का हो गया है।
शून्य गुरुत्वाकर्षण
क्या होता है शून्य गुरुत्वाकर्षण?
जब किसी वस्तु या व्यक्ति पर गुरुत्वाकर्षण बल का असर लगभग ना के बराबर होता है, तो उसे शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति कहा जाता है। इस स्थिति में वस्तुएं या लोग तैरते हुए नजर आते हैं।
असल में वे लगातार गिर रहे होते हैं, लेकिन क्योंकि आसपास सब कुछ उसी गति से गिर रहा होता है, उन्हें गिरने का एहसास नहीं होता और सब कुछ हवा में लटका हुआ लगता है।
स्थिति
कैसे बनती है शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति?
शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति अंतरिक्ष में तब बनती है, जब कोई यान या स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में बहुत तेज गति से घूम रहा होता है।
वह लगातार पृथ्वी की ओर गिरता है, लेकिन उसकी गति इतनी होती है कि वह गिरते हुए भी पृथ्वी से टकराता नहीं।
इस वजह से वहां मौजूद लोग या वस्तुएं फ्री फॉल की स्थिति में आ जाती हैं और उन्हें वजनहीनता महसूस होती है।
अनुभव
धरती पर शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव
शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव धरती पर भी कुछ देर के लिए किया जा सकता है।
वैज्ञानिक खास तरह के हवाई जहाज का इस्तेमाल करते हैं जो ऊपर जाकर झटके से नीचे गिरते हैं। उस दौरान अंदर बैठे लोगों को कुछ सेकंड के लिए वजनहीनता महसूस होती है।
इसके अलावा, कुछ रिसर्च सेंटर में ऊंची मीनारों से चीजें गिराकर भी यह स्थिति बनाई जाती है, ताकि वैज्ञानिक उसका अध्ययन कर सकें।