इंस्टॉल्ड ऐप्स की लिस्ट ऐक्सेस नहीं कर पाएंगी सभी ऐप्स, गूगल ने किया बदलाव
ज्यादातर एंड्रॉयड यूजर्स यह बात नहीं जानते कि फोन में इंस्टॉल की गई एक ऐप दूसरी ऐप्स की लिस्ट और डाटा देख सकती है। हालांकि, इस तरह किसी मालिशियस ऐप की मदद से बैकिंग इन्फॉर्मेशन और पासवर्ड जैसे डाटा की चोरी की जा सकती थी। गूगल ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए एंड्रॉयड सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है और 5 मई से प्ले स्टोर पर नई पॉलिसी ऐप्स के लिए लागू हो रही है।
डिवेलपर्स को बतानी होगी वजह
आर्सटेक्निका की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई ऐप यूजर के डिवाइसेज में मौजूद ऐप्स की लिस्ट ऐक्सेस करना चाहती है, तो डिवेलपर्स को ऐसा करने की वजह बतानी होगी। गूगल इस बात का फैसला करेगी कि ऐप को यूजर के डिवाइस में इंस्टॉल दूसरी ऐप्लिकेशंस का ऐक्सेस दिया जाना चाहिए या नहीं। यह चिंताजनक है कि एंड्रॉयड 11 में मौजूद 'क्वेरी_ऑल_पैकेजेस' रिक्वेस्ट करने वाली ऐप्स फोन में मौजूद सभी ऐप्स की लिस्ट देख सकती हैं।
गूगल ने डिवेलपमेंट प्रोग्राम पॉलिसी में किए बदलाव
यूजर्स डाटा सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और सवालों को गंभीरता से लेते हुए गूगल ने अपनी डिवेलपर प्रोग्राम पॉलिसी में बदलाव किए हैं। गूगल ने कहा, "जिन ऐप्स का कोर पर्पज ही फोन में मौजूद दूसरी ऐप्स को लॉन्च, सर्च या उनके साथ मिलकर काम करना होगा, सिर्फ उन्हें फोन में इंस्टॉल ऐप्स की लिस्ट का ऐक्सेस मिलेगा।" वहीं, दूसरी ऐप्स पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं और वे यूजर के फोन से सीमित डाटा ऐक्सेस कर पाएंगी।
गूगल प्ले स्टोर से हटा दी जाएंगी ऐप्स
गूगल ने कहा है कि डिवेलपर्स को प्ले कंसोल डिक्लियरेशन फॉर्म में बताना होगा कि उनकी ऐप हाई-रिस्क परमिशंस नहीं ले रही है। कंपनी ने चेतावनी दी है कि जो ऐप्स ऐसा नहीं करेंगी, उन्हें प्ले स्टोर से हटा दिया जाएगा। गूगल ने कहा, "जो ऐप्स पॉलिसी रिक्वायरमेंट फॉलो नहीं करेंगी और डिक्लियरेशन फॉर्म नहीं सबमिट करेंगी, उन्हें गूगल प्ले स्टोर से हटाया भी जा सकता है। हर बार परमिशंस में बदलाव करने पर ऐप्स को डिक्लियरेशन रिवाइज करना होगा।"
केवल जरूरी परमिशंस ही ले सकेंगी ऐप्स
सर्च इंजन कंपनी ने कहा है कि जो डिवेलपर्स चाहते हैं कि उनकी ऐप्स को दूसरे ऐप्स के साथ इंटरैक्ट करने का विकल्प दिया जाए, वे पूरी ऐप्स की लिस्ट रिक्वेस्ट करने के बजाय ऐप-डिस्कवरी APIs इस्तेमाल कर सकते हैं। कंपनी ने कहा, "गूगल की ओर से मिलीं परमिशंस का भ्रामक और गलत इस्तेमाल करने की स्थिति में ऐप को सस्पेंड या फिर डिवेलपर अकाउंट को टर्मिनेट भी किया जा सकता है।"