बर्फीले चंद्रमा का जांच करेगी नासा, अंतरिक्ष में भेजेगी विशेष उपकरणों वाला अंतरिक्ष यान
नासा बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा का अध्ययन करने लिए एक अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने वाली है। नासा ने एलन मस्क की अंतरिक्ष कंपनी स्पेस-X की मदद से इस मिशन को लॉन्च करने की योजना बनाई है। यह विशेष अंतरिक्ष मिशन फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से स्पेस-X के फाल्कन हेवी रॉकेट से 10 अक्टूबर को लॉन्च होगा। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि बृहस्पति के चंद्रमा पर जीवन संभव होगा।
मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे इतने उपकरण
यूरोपा क्लिपर डाटा एकत्र करने के लिए 9 उपकरण और 1 गुरुत्वाकर्षण विज्ञान प्रयोग ले जाएगा। इसके ऑन-बोर्ड उपकरणों के सूट में बर्फ के भीतर की जानकारी हासिल करने में सक्षम रडार और हाई-रेजोल्यूशन वाले कैमरे शामिल हैं। यूरोपा क्लिपर में विशाल सौर पैनल लगे हैं, क्योंकि बृहस्पति, पृथ्वी की तुलना में सूर्य से बहुत दूर है। अंतरिक्ष यान के सौर पैनल पंखों की जोड़ी की तरह फैले हैं, जो एक साथ लगभग 100 फीट तक फैले हुए हैं।
कैसे इकट्ठा किया जाएगा डाटा?
यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा के आकार का है, लेकिन इसकी सतह पर बहुत कम क्रेटर हैं। बृहस्पति तक अंतरिक्ष यान की 2.89 अरब किलोमीटर की यात्रा में 5 साल से ज्यादा का समय लगेगा। एक बार जब यह वहां पहुंच जाएगा, तो यह यूरोपा के दर्जनों नजदीकी फ्लाईबाई बनाने में कई साल बिताएगा और वहां के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा। यानी इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यान यूरोप पर उतरेगा नहीं, बल्कि उसके ऊपर से उड़ान भरेगा।
क्या है इस मिशन का उद्देश्य?
यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान को बृहस्पति के चारों ओर कक्षा में उड़ान भरने की एक सीरीज के माध्यम से गैलीलियन चंद्रमा यूरोपा का अध्ययन करने के लिए विकसित किया जा रहा है। यूरोपा की बर्फीली परत के नीचे पृथ्वी के सभी महासागरों के आयतन से दोगुना बड़ा महासागर मौजूद है। मिशन के 3 मुख्य विज्ञान उद्देश्य बर्फ के खोल और उसके नीचे के महासागर की प्रकृति को समझना है, साथ ही चंद्रमा की संरचना और भूविज्ञान को भी समझना है।