नासा 2024 के पूर्ण सूर्य ग्रहण में करेगा ये 5 वैज्ञानिक प्रयोग, पता चलेंगी कई जानकारियां
खगोलीय घटनाएं आम लोगों के लिए रोमांचक होती हैं और वैज्ञानिकों के लिए ये जानकारी पाने का अवसर होती हैं। 8 अप्रैल, 2024 को पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। इस ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक देगा। खगोल वैज्ञानिक इस अवसर पर सूर्य और पृथ्वी का करीब से अध्ययन करेंगे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आगामी सूर्य ग्रहण से जुड़ी जांच और शोध के लिए 5 वैज्ञानिक प्रयोग चुने हैं। इनके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
नासा का हाई-एल्टीट्यूड एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट
खगोलीय घटनाएं इसलिए भी रोचक होती हैं क्योंकि इनके बारे में अभी बहुत जानकारी सामने नहीं आई है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में वैज्ञानिक सूर्य और पृथ्वी पर इसके प्रभाव की बेहतर समझ प्राप्त करना चाहते हैं। नासा का हाई-एल्टीट्यूड रिसर्च एयरक्राफ्ट भी उन्हीं चुने गए प्रयोगों में से एक है। इसमें नासा का WB-57 हाई एल्टीट्यूड वाला रिसर्च एयरक्राफ्ट शामिल है। यह पृथ्वी की सतह से 50,000 फीट ऊपर से आगामी पूर्ण सूर्य ग्रहण की तस्वीरें ले सकता है।
ये जांच भी करेगा WB-57 एयरक्राफ्ट
ग्रहण के दौरान सूर्य के कोरोना के तापमान और रासायनिक संरचना की जांच करने के लिए WB-57 एयरक्राफ्ट कैमरों के साथ-साथ स्पेक्ट्रोमीटर से भी लैस होगा। यह सूर्य के आसपास छिपे एस्टेरॉयड्स (क्षुद्रग्रहों) की जांच भी कर सकता है। दिलचस्प बात यह है कि एयरक्राफ्ट ठीक ग्रहण के रास्ते में उड़ान भरेगा। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ये अवलोकन सौर हवाओं, सूर्य द्वारा छोड़े गए कणों और कोरोनल मास इजेक्शन के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकता है।
भू-आधारित दूरबीन से किया जाएगा सक्रिय क्षेत्रों का अध्ययन
किसी भी ग्रहण में दूरबीन की बड़ी भूमिका रही है। आम लोग भी ग्रहण देखने के लिए दूरबीन का इस्तेमाल करते हैं। ग्रहण के दौरान शोधकर्ता भू-आधारित दूरबीन का उपयोग करके सूर्य के सक्रिय क्षेत्रों का भी अध्ययन कर सकते हैं।
भू-आधारित दूरबीन से सूर्य के सक्रिय क्षेत्रों का अध्ययन
तीसरे प्रयोग में शोधकर्ता भू-आधारित दूरबीन का उपयोग करके ग्रहण के दौरान सूर्य के सक्रिय क्षेत्रों जैसे चुंबकीय क्षेत्र की बड़ी सांद्रता वाले क्षेत्रों का अवलोकन करेंगे। जैसे ही चंद्रमा सूर्य को पार करेगा यह सक्रिय क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों को अवरुद्ध कर देगा, जिससे शोधकर्ताओं को एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक उत्पन्न होने वाले प्रकाश संकेतों की पहचान करने में मदद मिलेगी। इस प्रयोग के लिए कैलिफोर्निया में 34-मीटर गोल्डस्टोन ऐपल वैली रेडियो टेलीस्कोप (GAVRT) का उपयोग होगा।
सूर्य ग्रहण का रेडियो संचार पर प्रभाव
इस जांच में अध्ययन किया जाएगा कि सूर्य ग्रहण रेडियो संचार को कैसे प्रभावित करते हैं। इसके लिए रेडियो से जुड़ा एक प्रोजेक्ट भी है। पृथ्वी के वायुमंडल का विद्युत आवेशित ऊपरी क्षेत्र रेडियो संचार की रेंज को अधिक दूर तक ले जाने में मदद करता है। हालांकि, सौर ग्रहण के दौरान पृथ्वी के आयनमंडल (विद्युत आवेशित ऊपरी क्षेत्र) में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं, जिससे रेडियो तरंगों के प्रवाह पर भी प्रभाव पड़ता है।
स्थापिक किए जाएंगे रेडियो संपर्क
इसकी जांच के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान शोधकर्ता विभिन्न स्थानों के साथ रेडियो संपर्क स्थापित करेंगे, जिससे यह रिकॉर्ड किया जा सके कि उनके सिग्नल कितने मजबूत हैं और वे कितनी दूर तक यात्रा करते हैं।
सौर विकिरण के प्रभाव पर रखी जाएगी नजर
पांचवे प्रयोग में सौर विकिरण (सोलर रेडिएशन) के प्रभाव पर नजर रखना शामिल है। इस जांच में सुपर डुअल ऑरोरल रडार नेटवर्क शामिल होगा। ये रडार वायुमंडल की ऊपरी परतों में अंतरिक्ष के मौसम पर नजर रखता है। 2024 के पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहण की छाया का सबसे काला हिस्सा कई क्षेत्रों से गुरजरेगा। इसलिए यह घटना पृथ्वी की ऊपरी वायुमंडलीय परतों पर सौर विकिरण के प्रभाव को समझने का उपयुक्त अवसर प्रदान करेगी।