चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग की तैयारी में ISRO, जान लीजिए इस मिशन से जुड़ी जानकारी
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का आगामी चांद मिशन चंद्रयान-3 है। यह चंद्रयान-2 का अगला मिशन है। इसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल है।
चंद्रयान-3 को 13 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाना तय है, लेकिन ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ के मुताबिक इसकी लॉन्चिंग 19 जुलाई तक खिंच सकती है।
मिशन का प्राथमिक उद्देश्य लैंडर और रोवर को अगस्त तक चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास पहुंचाना होगा।
जान लेते हैं इस मिशन से जुड़ी अन्य जानकारी।
मॉडल
मिशन के प्रमुख उद्देश्य
चंद्रयान-2 की असफलता से मिली कई सीख को चंद्रयान-3 की सफलता के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसमें लैंडर और रोवर के अलावा एक प्रोपल्शन मॉडल भी होगा। रोवर को लैंडर के अंदर रखा गया है।
चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है।
ISRO की वेबसाइट के मुताबिक, इस मिशन के 3 प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग, चांद पर घूमना और कुछ वैज्ञानिक प्रयोग करना हैं।
मिशन
लैंडर, प्रोपल्शन और रोवर में हैं ये उपकरण
रिपोर्ट के मुताबिक, लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र को छुएगा। इस बीच प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी के साथ संचार में मदद करने के लिए चांद की कक्षा में रहेगा।
प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक बड़ा सौर पैनल और शीर्ष पर एक सिलेंडर लगा है।
लैंडर में कई सेंसर और एंडवांस टेक्नोलॉजी दी गई हैं। वहीं रोवर में नेविगेशन कैमरे और सौर पैनल लगाया गया है।
चंद्रयान-3 के रोवर में एक भूकंपमापी सेस्मोमीटर, हीट फ्लो एक्सपेरिमेंट उपकरण और स्पेक्ट्रोमीटर है।
ध्रुव
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में क्या खास है?
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव ऐसा हिस्सा है, जहां पर सूर्य की रोशनी नहीं जाती है। इस वजह से वहां का तापमान काफी कम है और बर्फ मिलने की संभावना है।
अमेरिका और चीन ने भी अपने चांद मिशन के जरिए दक्षिणी ध्रुव से जुड़ी जानकारी जुटाने का प्रयास किया है।
इस ध्रुव पर क्रेटर (गड्ढे) मौजूद हैं। क्रेटर्स की रचना अनूठी है और इन्हीं विशेषताओं के चलते चंद्रमा के इस ध्रुव पर इंसानी जीवन की संभावना तलाशी जा रही है।
बदलाव
मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए किए गए ये बदलाव
ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि लॉन्च के दौरान किसी भी दिक्कत से बचने के लिए चंद्रयान-3 के हार्डवेयर, डिजाइन, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर को सुधारा गया है। अधिक ऊर्जा उत्पादन के लिए इसमें बड़े सौर पैनल लगाए गए हैं।
उनके मुताबिक, इसके एल्गोरिदम को भी बदला गया है और निर्धारित स्थान पर कोई दिक्कत होने पर चंद्रयान को दूसरे एरिया में उतरने में मदद करने के लिए नया सॉफ्टवेयर जोड़ा गया है।
लागत
मिशन का बजट है 615 करोड़ रुपये
इस मिशन के एक चंद्र दिवस की अवधि तक चलने की उम्मीद है, जो कि पृथ्वी पर लगभग 14 दिन है।
इस मिशन का बजट 615 करोड़ रुपये रखा गया है।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चांद का चक्कर लगा रहा है, इसलिए आगामी मिशन में ऑर्बिटर नहीं भेजा जाएगा।
चंद्रयान-3 से जुड़ी EMI और EMC जैसी महत्वपूर्ण टेस्टिंग सफल रही हैं। इन मिशनों के जरिए चांद पर मानव जीवन के अनुकूल माहौल तलाशने का प्रयास जारी है।