क्या था ISRO का 'मून इम्पैक्ट प्रोब' मिशन, जिसे आज हो गए 16 वर्ष?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज मून इम्पैक्ट प्रोब की 16वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह मिशन 14 नवंबर, 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और भारत चंद्रमा के इस हिस्से पर वैज्ञानिक उपकरण भेजने वाला पहला देश बन गया था। इसके इम्पैक्ट प्रोब ने शैकलटन क्रेटर में चंद्र सतह को छुआ, जिसका नाम 'जवाहर स्थल' रखा गया। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इसे वैज्ञानिक लाभ बढ़ाने के लिए शुरू करने का सुझाव दिया था।
डाटा का अध्ययन अभी भी है जारी
मून इम्पैक्ट प्रोब चंद्रमा के कमजोर वातावरण से होते हुए सतह से टकरा गया। इस दौरान उसने चंद्रमा की तस्वीरें लीं, जो बाद में दक्षिणी ध्रुव के स्पष्ट नक्शों में जोड़ी गईं। चंद्रयान-1 ने नासा के क्लेमेंटाइन द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के संकेतों की पुष्टि की। चंद्र ऑर्बिटर और इम्पैक्ट प्रोब ने महत्वपूर्ण डाटा इकट्ठा किया, जिससे चंद्रमा पर पानी के स्रोतों के बारे में नई जानकारी मिली, जिसे ISRO ने वैश्विक समुदाय के साथ साझा किया।