गूगल 2030 तक हटाएगी 1 लाख टन कार्बन, भारतीय स्टार्ट-अप के साथ किया सबसे बड़ा सौदा
क्या है खबर?
गूगल ने 2030 तक 1 लाख टन कार्बन हटाने के लिए गुरूग्राम स्थित भारतीय स्टार्ट-अप वराह से साझेदारी की है।
यह सौदा बायोचार पर आधारित है, जो बायोमास से कार्बन को हटाने का तरीका है। गूगल इस प्रोजेक्ट से अपने कार्बन न्यूट्रल बनने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है।
गुजरात में वराह की परियोजना से यह बायोचार बनाया जाएगा। यह अब तक का बायोचार आधारित सबसे बड़ा सौदा है, जो पर्यावरण सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ताकत
बायोचार की कार्बन हटाने की ताकत
बायोचार वातावरण से कार्बन को हटाकर जमीन में लंबे समय तक सुरक्षित रखता है। इसका असर 1,000-2,500 साल तक रहता है।
वराह ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे 1,600 साल तक टिकने वाला बायोचार बनाया जा सकता है। यह तकनीक बायोमास को गर्म करके बिना जलाए बायोचार बनाती है।
यह न केवल कार्बन हटाने का प्रभावी तरीका है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने का लंबी अवधि वाला समाधान भी है। गूगल के लिए यह पर्यावरण बचाने का अहम हिस्सा है।
निगरानी
डिजिटल सिस्टम से निगरानी
वराह ने बायोमास की उपलब्धता और कार्बन हटाने की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए एक डिजिटल सिस्टम बनाया है।
इस सिस्टम में एक मोबाइल ऐप भी है, जो हर गतिविधि को जियो-टैग और टाइम-स्टैम्प के साथ रिकॉर्ड करता है। यह सुनिश्चित करता है कि कार्बन हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी और प्रमाणित हो।
इसके अलावा, वराह ने रिमोट सेंसिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया है, जिससे बायोमास की निगरानी की जा सके। यह सिस्टम प्रोजेक्ट की सटीक जानकारी देता है।
संरक्षण
पर्यावरण और जैव विविधता का संरक्षण
वराह प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा जैसे पौधों को हटाकर बायोचार बनाती है। ये पौधे तेजी से फैलते हैं और घास के मैदानों को खत्म कर देते हैं, जिससे जैव विविधता को नुकसान होता है।
वराह इन पौधों को हटाकर उनकी जगह देशी घास और पौधे उगाता है, जिससे पर्यावरण का संतुलन सुधरता है। इस प्रक्रिया से कार्बन भी कम होता है।
2024 में वराह ने 40,000 टन बायोमास से 10,000 टन बायोचार बनाया था। यह परियोजना पर्यावरण बचाने में मदद करती है।