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    ब्लॉकचेन पर काम कर रही है गूगल, क्रिप्टो वॉलेट की जगह ले सकती है गूगल पे
    गूगल ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम शुरू कर रही है।

    ब्लॉकचेन पर काम कर रही है गूगल, क्रिप्टो वॉलेट की जगह ले सकती है गूगल पे

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Jan 22, 2022
    09:50 pm

    क्या है खबर?

    सर्च इंजन कंपनी गूगल ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करने जा रही है और इससे जुड़े बदलाव कंपनी की मौजूदा सेवाओं में देखने को मिल सकते हैं।

    कंपनी ने एक नया यूनिट तैयार किया है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और इससे जुड़ी संभावनाओं पर काम करेगा।

    रिपोर्ट्स की मानें तो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के साथ गूगल डिस्ट्रिब्यूटेड कंप्यूटिंग और डाटा स्टोरेज टेक में सुधार करने की कोशिश कर सकती है।

    गूगल की ओर से क्रिप्टो पेमेंट्स का विकल्प दिया जा सकता है।

    रिपोर्ट

    नई रिपोर्ट में मिले बदलाव के संकेत

    ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी नई नहीं है और गूगल इसपर काम करने वाली अकेली बड़ी कंपनी भी नहीं है।

    अलग-अलग स्पेस में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ढेरों टेक कंपनियां कर रही हैं।

    ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि गूगल ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

    रिपोर्ट में एक इंटरनल ईमेल का जिक्र किया गया है, जिसमें ब्लॉकचेन और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी से जुड़े नए डिवीजन की जानकारी दी गई है।

    ईमेल

    ईमेल से मिली नए गूगल यूनिट की जानकारी

    सामने आए ईमेल में बताया गया है कि गूगल ने 'ब्लॉकचेन और दूसरी नेक्स्ट-जेन डिस्ट्रिब्यूटेड कंप्यूटिंग एंड डाटा स्टोरेज टेक्नोलॉजीस' पर फोकस्ड एक यूनिट तैयार की है।

    इसके लिए कंपनी ने इंजीनियरिंग वाइस प्रेसिडेंट फॉर गूगल और कंपनी के लिए 20 साल से काम कर रहे शिवकुमार वेंकटरमन को चुना है।

    वेंकटरमन को अब इस यूनिट के 'फाउंडिंग लीडर' की जिम्मेदारी सौंपी गई है और उनकी टीम नए प्रोजेक्ट्स पर काम करेगी।

    नाम

    गूगल लैब्स रखा नई यूनिट का नाम

    मजेदार बात यह है कि गूगल ने नए यूनिट का नाम गूगल लैब्स रखा है, जो नाम लगभग एक दशक से इस्तेमाल हो रहा है।

    अभी गूगल लैब्स कंपनी की ओर से लाए गए नए प्रोजेक्ट्स पर काम करती है और इन्हें सभी के सामने पेश करती है।

    हालांकि, इसी नाम के साथ बनाए गए नए यूनिट का फोकस बिल्कुल अलग होगा।

    गूगल लैब्स पब्लिक है, वहीं नया यूनिट एक इंटरनल ग्रुप होगा और लॉन्ग-टर्म प्रोजेक्ट्स पर काम करेगा।

    प्रोडक्ट

    ब्लॉकचेन से जुड़े किसी प्रोडक्ट का जिक्र नहीं

    ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के अलावा ईमेल में किसी खास प्रोजेक्ट या प्रोडक्ट के बारे में नहीं बताया गया है।

    गूगल के पास बड़ा सॉफ्टवेयर स्पेस होने के चलते ब्लॉकचेन से जुड़ी ढेरों संभावनाएं हैं, जिनसे जुड़ी ज्यादा जानकारी बाद में सामने आ सकती है।

    कंपनी ने हाल ही में कहा था कि कंपनी क्रिप्टोकरेंसी स्पेस को भी समझने की कोशिश कर रही है।

    ऐसे में गूगल पे सर्विस से क्रिप्टो पेमेंट्स का विकल्प दिया जा सकता है।

    क्रिप्टो

    कई पेमेंट गेटवे दे रहे हैं क्रिप्टोकरेंसी का विकल्प

    गूगल के पेमेंट प्लेटफॉर्म गूगल पे का बड़ा ग्लोबल यूजरबेस है और इसी में क्रिप्टोकरेंसी का इंटीग्रेशन भी किया जा सकता है।

    कई पेमेंट गेटवेज पहले ही यूजर्स को क्रिप्टो पेमेंट्स का विकल्प दे रहे हैं।

    मेटा की तर्ज पर गूगल भी ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी स्पेस में अपने कदम बढ़ा सकती है।

    इतना ही नहीं, गूगल खुद का क्रिप्टो कॉइन भी लॉन्च कर सकती है, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा।

    ब्लॉकचेन

    क्या है ब्लॉकचेन का मतलब?

    ब्लॉकचेन को दो हिस्सों में बांटकर आसानी से समझा जा सकता है।

    पहले हिस्से ब्लॉक का मतलब डाटा ब्लॉक्स से है, जिनमें किसी डिजिटल डॉक्यूमेंट से जुड़ा डाटा स्टोर होता है।

    इस तरह के कई ब्लॉक्स मिलने के चलते एक श्रंखला बनती जाती है, जिस चेन से ब्लॉकचेन का निर्माण होता है।

    यानी कि एक ब्लॉक में डाटा स्पेस खत्म होने के बाद दूसरा ब्लॉक इस चेन में जुड़ जाता है और सारा डाटा आपस में कनेक्टेड होता है।

    जानकारी

    न्यूजबाइट्स प्लस

    ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी करीब 30 साल पुरानी है और सबसे पहले इसका इस्तेमाल 1991 में स्टुअर्ट हबर और डबल्यू स्कॉट ने किया था। उन्होंने डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को टाइमस्टैंप करने के लिए इसकी मदद ली थी। 2009 में बिटकॉइन आने के बाद यह टेक्नोलॉजी चर्चा में आई।

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