गूगल ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करने के लिए ऐसे कर रही है AI का इस्तेमाल
गूगल ने प्रदूषण के स्तर को कम करने और विभिन्न शहरों के ट्रैफिक में सुधार लाने के लिए वर्ष 2021 में प्रोजेक्ट ग्रीन लाइट की घोषणा की थी। अब गूगल ने इस परियोजना को अधिक प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित फीचर्स की घोषणा की है। गूगल के इंजीनियरिंग और रिसर्च के उपाध्यक्ष योसी मटियास के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में AI को शामिल किए जाने के बेहतर नतीजे भी दिख रहे हैं।
5 मिनट से भी कम में लागू हो जाता है सिस्टम
मटियास के अनुसार, शुरुआती आंकड़े वाहनों के रुकने में 30 प्रतिशत और उत्सर्जन में 10 प्रतिशत तक की कमी की संभावना को दर्शाते हैं। गूगल का दावा है कि दुनियाभर के 12 शहरों में जहां यह प्रोजेक्ट लागू है, उससे यह मासिक रूप से लगभग 3 करोड़ कार यात्राओं के बराबर ईंधन की बचत और उत्सर्जन में कमी कर सकता है। गूगल के मुताबिक, शहर के इंजीनियरों को इसे लागू करने में 5 मिनट से भी कम समय लगता है।
ट्रैफिक और उत्सर्जन को किया जा सकता है कम
कंपनी AI और गूगल मैप के ड्राइविंग ट्रेंड्स का इस्तेमाल कर ट्रैफिक पैटर्न और मौजूदा ट्रैफिक लाइट प्लान को ऑप्टिमाइज करने के लिए सुझाव प्रदान करती है। मटियास ने कहा कि सिर्फ एक चौराहा नहीं बल्कि ग्रीन लाइट प्रोजेक्ट के जरिए आसपास के चौराहों के बीच आपसी समन्वय स्थापित कर शहर के यातायात को सुधारा जा सकता है। इससे वाहनों के ट्रैफिक में फंसने और रुकने में कमी आएगी, जिससे उत्सर्जन को और कम किया जा सकता है।
भारत में इन शहरों में लागू है ग्रीन लाइट प्रोजेक्ट
मटियास का कहना है कि गूगल ने प्रत्येक चौराहे पर एक AI आधारित मॉडल बनाया है। इस मॉडल में ट्रैफिक पैटर्न, लाइट शेड्यूलिंग के साथ ही ट्रैफिक और लाइट शेड्यूल के इंटरैक्ट करने के पैटर्न आदि को शामिल किया गया है। मॉडल के आधार पर गूगल AI आधारित ऑप्टिमाइजेशन विकसित करती है और फिर शहर के इंजीनियरों को सुझाव प्रदान करती है। भारत में प्रोजेक्ट ग्रीन लाइट अभी बेंगलुरू, हैदराबाद और कोलकाता में लागू किया गया है।
न्यूजबाइट्स प्लस
वाहनों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वायु प्रदूषण कई बीमारियों का कारण है। वर्ष 2030 तक भारत में कारों की वार्षिक बिक्री मौजूदा आंकड़े से 3 गुना अधिक होने की उम्मीद है, जिससे उत्सर्जन में वृद्धि होगी। उत्सर्जन को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन वाहनों (बस, ऑटो और टैक्सी आदि) को पेट्रोल/डीजल की जगह कंप्रेस्ड नैचुरल गैस (CNG) या बिजली से चलाने पर जोर दिया जा रहा है।