कोरोना वायरस प्रसार को देखने के लिए इस्तेमाल हो रही साइक्लोन पर नजर रखने वाली टेक्नोलॉजी
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ लड़ाई में भारत अपने तमाम संसाधन झोंक रहा है।
अब इस लड़ाई में कुछ राज्य साइक्लोन, बाढ़ और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं को ट्रैक करने में काम आने वाले जियोग्राफिक इंफोर्मेशन सिस्टम (GIS) का भी इस्तेमाल करना शुरू कर चुके हैं।
GIS की मदद से महामारी के फैलने और इससे प्रभावित इलाकों का विश्लेषण किया जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
टेक्नोलॉजी
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए कंपनी ने बनाया खास सिस्टम
सरकारों और कंपनियों को GIS सॉफ्टवेयर और जियोडाटाबेस मैनेजमेंट ऐप्स मुहैया कराने वाली कंपनी ESRI की भारत यूनिट के प्रमुख अगेंद्र कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "हमने महामारी को देखते हुए ग्लोबल प्रोग्राम का ऐलान किया है। महामारी से लड़ाई में लगी सरकारी एजेंसियों को हम छह महीनों के लिए फ्री सॉफ्टवेयर दे रहे हैं। हम महामारी के प्रभाव और इसके प्रसार को समझने के लिए GIS के इस्तेमाल की सलाह देते हैं।"
जानकारी
क्या होता है GIS?
GIS जियोरेफरेंस डाटा को एकत्रित करने और मैनेज करने का फ्रेमवर्क होता है। जियोरेफरेंस का मतलब कोई भी ऐसी चीज होती है, जिसकी कोई लोकेशन हो। ऐसी चीजों को GIS में लाकर उनका विश्लेषण किया जा सकता है।
टेक्नोलॉजी
दुनिया के 3,000 संगठन कर रहे GIS इस्तेमाल
दुनिया के अधिकतर देशों में फैल चुकी महामारी से निपटने के लिए कंपनी ने खास सिस्टम तैयार किया है।
अगेंद्र कुमार ने कहा कि देश के 25 विभाग, अलग-अलग राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण उनकी कंपनी की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वहीं दुनियाभर में लगभग 3,000 संगठन उनके खास सिस्टम का प्रयोग कर रहे हैं।
यह सिस्टम अपने आप अपडेट होता रहता है और इसमें डाटा डालने की जरूरत नहीं रहती।
टेक्नोलॉजी
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ऐसे काम आ रहा GIS
कुमार ने बताया कि उनके डैशबोर्ड की मदद से एजेंसियां मरीजों का पता लगा सकती है। इसकी मदद से मरीजों के संपर्क, नजदीकी जांच केंद्र और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है।
इससे किसी इलाके की पहचान कर यह पता लगाया जा सकता है कि वहां रहने वाले कितने लोगों को संक्रमण का खतरा है।
अगर लोगों को क्वारंटाइन करना पड़े तो पता लगाया जा सकता है कि क्वारंटाइन फैसिलिटी वहां से कितनी दूर है।
जानकारी
भारत में सालों से इस्तेमाल हो रही GIS का इस्तेमाल
भारत में 1996 से काम कर रही ESRI ने राष्ट्रीय आपदा राहत प्राधिकरण और कई राज्यों के आपदा राहत विभागों के साथ काम किया है। देश में साइक्लोन और बाढ़ पर नजर रखने के लिए ESRI की GIS टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।