चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्च पैड पर पहुंचने की यात्रा शुरू, जानें इससे जुड़ी जरूरी जानकारी
क्या है खबर?
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू है। आज 6 जुलाई को सुबह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 के साथ लॉन्च व्हीकल LMV3 M4 की लॉन्च पैड पर पहुंचने की आवाजाही शुरू हो गई है। इसी के साथ मिशन लॉन्च के और करीब पहुंचता जा रहा है।
मिशन की लॉन्च विंडो 13 जुलाई से 19 जुलाई तक खुली है। इस बीच में इसे लॉन्च किया जा सकता है।
जान लेते हैं मिशन से जुड़ी और जानकारी।
अपडेट
बीते दिन हुआ LMV 3 रॉकेट और चंद्रयान-3 कैप्सूल का इंटीग्रेशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी इस महत्वाकांक्षी चांद परियोजना के बारे में बीते दिन भी ट्वीट कर LMV 3 रॉकेट के साथ चंद्रयान-3 कैप्सूल के इंटीग्रेशन का अपडेट दिया था।
इससे पहले ISRO ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था, लेकिन चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग न होने से मिशन फेल हो गया था।
चंद्रयान-2 के लिए तय किए गए लक्ष्यों को चंद्रयान-3 से हासिल किया जाएगा।
मॉड्यूल
चंद्रयान-3 में हैं दो मॉड्यूल कॉन्फिगरेशन
चंद्रयान-3 मिशन में दो मॉड्यूल कॉन्फिगरेशन लैंडर मॉड्यूल (LM) और प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) हैं। लैंडर मॉड्यूल के भीतर ही एक रोवर को रखा गया है।
प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम लैंडर और रोवर सिस्टम को चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर तक ले जाने और लैंडर को अलग करने में सहायता करना है।
दरअसल, चांद की सतह पर लैंडर के गिरने की स्पीड और गिरने पर उसमें होने वाले कंपन को नियंत्रित करना होता है।
लक्ष्य
मिशन के 3 प्रमुख लक्ष्य
चंद्रयान-3 लैंडर और रोवर मॉड्यूल कई वैज्ञानिक पेलोड (उपकरण) ले जाएंगे। यह मिशन नासा का भी पेलोड ले जाएगा।
नासा का पेलोड एक लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे है, जो लूनर (चांद) लेजर रेंजिंग अध्ययन में मदद करेगा।
इस मिशन के 3 मुख्य लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिनमें चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग, चांद की सतह पर घूमना और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग करना है।
यह मिशन भारत के सबसे भारी अंतरिक्ष लॉन्च यान LMV3 रॉकेट पर सवार होकर उड़ान भरेगा।
लैंडिंग
चांद पर लैंडिंग और रोविंग में अब तक सिर्फ 3 देश सफल
चांद की सतह पर लैंडिंग और रोविंग करने में अब तक सिर्फ 3 देश अमेरिका, रूस और चीन सफल रहे हैं।
चंद्रयान-3 मिशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सफलता से भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जो चांद की सतह पर लैंडिंग (उतरने) और रोविंग (घूमने) में सफल होगा।
चांद मिशन में चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग बड़ी चुनौती है। जापान का भी चांद मिशन आईस्पेस भी सॉफ्ट लैंडिंग न कर पाने पर फेल हो गया था।