चंद्रयान-3 का काउंटडाउन हुआ शुरू, कल लॉन्च होगा मिशन
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 को 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा। उड़ान भरने से पहले इसका 26 घंटे का काउंटडाउन (उल्टी गिनती) आज 1:05 बजे से शुरू हो गया है। मिशन की सफलता के बाद भारत चांद की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और घूमने की क्षमता का प्रदर्शन करना है।
लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद रॉकेट से अलग हो जाएगा प्रोपल्शन मॉड्यूल
वैज्ञानिकों के अनुसार, शुक्रवार दोपहर उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल रॉकेट से अलग हो जाएगा। इसके बाद चांद की कक्षा तक पहुंचने के लिए यह लगभग एक महीने से अधिक लंबी यात्रा के लिए आगे बढ़ जाएगा, जब तक कि यह चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर नहीं चला जाता है। ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार, लैंडर मॉड्यूल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 23 या 24 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।
लैंडिंग के लिए चुना गया दक्षिणी ध्रुव
लैंडिंग के लिए चांद के दक्षिणी ध्रुव के इसलिए चुना गया, क्योंकि चांद का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में बड़ा है। दूसरी बात दक्षिणी ध्रुव में काफी ज्यादा हिस्सा स्थायी रूप से छाया वाला क्षेत्र है। यहां हजारों वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है। सूर्य की रोशनी न पहुंचने से ये इलाके काफी ज्यादा ठंडे रहते हैं और यहां मौजूद क्रेटर (गड्ढों) में बर्फ जमी है, जिससे पानी की मौजूदगी की संभावना है।
फेल हो गया था चंद्रयान-2
इससे पहले वर्ष 2019 में ISRO ने भारत का दूसरा चांद मिशन चंद्रयान-2 भेजा था, जो असफल रहा। चंद्रयान-2 मिशन के लैंडर की लैंडिंग से कुछ सेकेंड पहले ही इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) से संपर्क टूट गया था। इससे चंद्रयान-2 के लिए तय किए गए लक्ष्यों की पूर्ति भी नहीं हो सकी थी। चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 का ही फॉलो-अप मिशन बताया जा रहा है और इसके जरिए चंद्रयान-2 के लक्ष्यों को हासिल किया जाएगा।
चंद्रयान-3 में किए गए हैं ये बदलाव
ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि लॉन्च के दौरान किसी भी मुश्किल से बचने के लिए चंद्रयान-3 के हार्डवेयर, डिजाइन, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर को सुधारा गया है। उन्होंने बताया था कि इसके एल्गोरिदम को भी बदला गया है और निर्धारित लैंडिंग स्थान पर कोई दिक्कत होने पर चंद्रयान को दूसरे एरिया में उतरने में मदद करने के लिए नया सॉफ्टवेयर जोड़ा गया है।