
चंद्रयान-1 के डाटा से हुआ यह खुलासा, पृथ्वी से इलेक्ट्रॉन चंद्रमा पर बनाते हैं पानी
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पहले चांद मिशन चंद्रयान-1 का संचालन एक दशक से भी अधिक समय पहले बंद हो गया, लेकिन उस अभियान के डाटा से अभी भी दिलचस्प जानकारी मिल रही है।
नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी से उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन चांद पर पानी के निर्माण में योगदान दे रहे हैं।
यह शोध 2008-2009 के बीच इकट्ठा किए गए चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डाटा पर आधारित है।
पानी
पानी का लगाया जा सकता है पता
अध्ययन से चांद के छाया वाले क्षेत्रों में मौजूद पानी का पता लगाया जा सकता है।
चांद पर पानी का पता लगाना वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से रोमांच का विषय रहा है।
दरअसल, चांद पर पानी वाली बर्फ भविष्य में ह्यूमन एक्स्पोलरेशन के लिए संसाधन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण हो सकती है।
ISRO के चंद्रयान-3 ने भी चांद की सतह पर ऐसे ही क्षेत्र की जांच की, जिसमें पानी वाले बर्फ के भंडार हैं।
योगदान
इलेक्ट्रॉन मौसम प्रक्रियाओं में दे रहे हैं योगदान
शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि पृथ्वी की प्लाजमा शीट से इलेक्ट्रॉन चांद पर मौसम प्रक्रियाओं में योगदान दे रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि सौर हवा या उच्च ऊर्जा वाले कण जैसे प्रोटॉन का चंद्रमा से टकराना उन तरीकों में से एक है, जिनसे चांद में पानी आया।
अब कहा जा रहा है कि पृथ्वी से ऐसे उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों के रेडिएशन का सौर पवन प्रोटॉन के समान प्रभाव होता है, जिससे पानी बनता है।