उत्तराखंड: राजनीतिक अस्थिरता का पुराना इतिहास, अब तक मात्र एक मुख्यमंत्री पूरा कर पाया है कार्यकाल
त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड को एक नया मुख्यमंत्री मिल गया है और तीरथ सिंह रावत आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वह राज्य के लगभग 20 साल के इतिहास में सातवें निर्वाचित मुख्यमंत्री होंगे। दिलचस्प बात यह है कि उनसे पहले रहे छह मुख्यमंत्रियों में से मात्र एक ही मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर पाए हैं। चलिए फिर उत्तराखंड की राजनीति की इसी अस्थिरता और मुख्यमंत्रियों के अधूरे कार्यकालों पर एक नजर डालते हैं।
2002 में नारायण दत्त तिवारी बने पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री
नवंबर, 2000 में स्थापना के बाद उत्तराखंड में 2002 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। इन चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और नारायण दत्त तिवारी राज्य के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। 2 मार्च, 2002 को शपथ लेने वाले तिवारी 7 मार्च, 2007 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे और अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वह ऐसा करने वाले राज्य के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं और उनके बाद कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
बीसी खंडूरी बने भाजपा के पहले मुख्यमंत्री, लेकिन पूरा नहीं कर पाए कार्यकाल
2007 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की और मेजर जनरल बीसी खंडूरी राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने। हालांकि वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और 2009 लोकसभा चुनाव में राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने 26 जून, 2009 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भाजपा ने रमेश पोखरियाल (मौजूदा केंद्रीय शिक्षा मंत्री) को राज्य का मुख्मयंत्री बनाया और उन्होंने 27 जून, 2009 को शपथ ली।
दो साल ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिक सके पोखरियाल
हालांकि पोखरियाल भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और दो साल कुर्सी पर बने रहने के बाद 2011 में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भाजपा नेतृत्व ने उन्हें इस्तीफा देने का कहा था। पोखरियाल के बाद भाजपा ने एख बार फिर से खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया और वह 2012 विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री रहे। इस चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और खंडूरी अपनी सीट पर हार गए।
विजय बहुगुणा भी नहीं टिक पाए पूरे पांच साल
2012 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन वह भी अपना कार्यकाल पूरा नही कर पाए और 2014 में संगठन के पुनर्गठन के दौरान पार्टी नेतृत्व के आदेश पर उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा मुख्यमंत्री के तौर पर उनका प्रदर्शन भी कमजोर था और 2013 की केदारनाथ त्रासदी के समय उन पर अच्छे से काम न करने का आरोप लगा था।
हरीश रावत बने अगले मुख्यमंत्री, बीच में ही लगा दिया गया राष्ट्रपति शासन
बहुगुणा के इस्तीफे के बाद 2012 में मुख्यमंत्री न बनाने पर पार्टी छोड़ने की धमकी देने वाले हरीश रावत को राज्य का मुख्यमनंत्री बनाया गया। हालांकि उनका कार्यकाल सबसे अधिक नाटकीय रहा और मार्च, 2016 में कांग्रेस ने नौ विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। कोर्ट में जीत के बाद राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया गया और विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद वह मई, 2016 से 18 मार्च, 2017 तक मुख्यमंत्री रहे।
2017 में मुुख्यमंत्री बने थे त्रिवेंद्र सिंह रावत, चार बाद देना पड़ा इस्तीफा
2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि विधायकों और मंत्रियों की बगावत के बाद उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ गया और अब तीरथ सिंह ने उनकी जगह ली है।