अमेरिका में राहुल गांधी ने छात्रों और शिक्षाविदों को संबोधित किया, जानिए क्या कहा
अमेरिका के टेक्सास में अपनी 3 दिवसीय यात्रा पर पहुंचे राहुल गांधी ने पहले दिन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में छात्रों और शिक्षाविदों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर यह राहुल गांधी की पहली विदेश यात्रा है। इस दौरान उन्होंने भारत में न केवल महंगाई, बेरोजगारी बल्कि आध्यात्म और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी बात की। आइए जानते हैं कि राहुल ने किन-किन मुद्दों पर बात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डर खत्म हुआ- राहुल
राहुल ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही, जिससे लोगों में प्रधानमंत्री मोदी का डर खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि चुनाव का परिणाम उनकी या कांग्रेस की जीत नहीं, बल्कि भारतीय जनता की इच्छा का आईना है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने के सरकार के कथित प्रयासों के खिलाफ खड़े हुए हैं और अपने धर्म, राज्य पर हमला स्वीकार नहीं करेंगे।
RSS पर क्या बोले राहुल?
राहुल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और कांग्रेस के बीच वैचारिक मतभेदों को भी बताया। राहुल ने कहा कि RSS भारत को एक विचार मानता है, जबकि कांग्रेस मानती है कि भारत विचारों की बहुलता है। राहुल ने कहा कि भारत को लेकर उनकी परिकल्पना में सभी पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं, चाहे वह किसी जाति, धर्म, भाषा या परंपरा के हो। उन्होंने कहा कि उनकी भूमिका भारतीय राजनीति में प्रेम, सम्मान और विनम्रता के मूल्यों को शामिल करना है।
भारत जोड़ो यात्रा मेरा खुद पर हमला- राहुल
राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अपने खुद के परिवर्तनकारी अनुभव को बताते हुए कहा कि उन्होंने यात्रा से खुद पर हमला किया है। राहुल ने कहा, "पहले 3-4 दिनों तक मैं सोचता रहा कि 'मैंने क्या कर दिया? लेकिन 4,000 किलोमीटर की यात्रा ने मुझे सोचने का एक नया तरीका विकसित करने और लोगों की बेहतर समझ विकसित करने में मदद की। कुछ मायनों में, भारत जोड़ो यात्रा मेरे ऊपर एक हमला था। लोगों से अनोखा रिश्ता बना।"
मेरी भूमिका भारतीय राजनीति में प्रेम, सम्मान और विनम्रता के मूल्यों को शामिल करना- राहुल
राहुल ने कहा, "मुझे लगता है कि हमारी राजनीतिक में जो कमी है, वह है प्रेम, सम्मान और विनम्रता। सभी के प्रति प्रेम जरूरी नहीं कि केवल एक धर्म, एक समुदाय, एक जाति, एक राज्य या एक भाषा बोलने वालों के प्रति ही प्रेम हो।" उन्होंने कहा, "भारत का निर्माण कर रहे हर व्यक्ति के प्रति सम्मान, न केवल सबसे शक्तिशाली, बल्कि सबसे कमजोर और दूसरों में नहीं, बल्कि खुद में विनम्रता। मैं अपने भारत को इसी तरह देखता हूं।"